कोरोना से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन का जीडीपी ग्रोथ पर बेहद विपरीत असर देखने को मिला है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9% की कमी दर्ज की गई है। 1996 के बाद से यह पहला मौका है, जब जीडीपी के तिमाही नतीजों में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। 1996 से ही देश में जीडीपी के तिमाही नतीजे घोषित किए जाने का प्रचलन है। बीते साल इसी अवधि में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी थी। इसके अलावा जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की रफ्तार 3.1 पर्सेंट थी, जो बीते 8 सालों का सबसे निचला स्तर था। इस लिहाज से देखें तो कोरोना ने भारत की जी़डीपी पर बुरी तरह कहर बरपाया है। मौजूदा तिमाही और इस पूरे वित्त वर्ष में ही इसका असर देखने को मिल सकता है।
सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि कोरोना काल में निजी निवेश में तेजी से कमी आई है और उपभोक्ता में गिरावट दर्ज की गई है। इसी के चलते जीडीपी ने गोता लगाया है। देश की जीडीपी जून तिमाही में 26.9 लाख करोड़ रुपये रही है, जबकि बीते साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 35.35 लाख करोड़ रुपये का था। इस तरह बीते साल की तुलना में जीडीपी ग्रोथ में 23.9 पर्सेंट की कमी दर्ज की गई है।बता दें कि लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने देश में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए करीब 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था, लेकिन यह आंकड़ा बताता है कि सरकारी उपायों से अर्थव्यवस्था पर लोगों का भरोसा नहीं बढ़ा है।