जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, राजस्थान में होने वाले पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव भी नजदीक आ रहे हैं। हालांकि अभी तक इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 15 अक्टूबर से पहले ये चुनाव संपन्न करवाने हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में ही प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है।
जानकारों की मानें तो यह आगामी 11 या 12 सितंबर के आसपास प्रभावी हो सकती है। बता दें पंचायती राज के इन चुनावों के जरिए 3500 से अधिक ग्राम पंचायत, 33 जिला प्रमुख और प्रधान चुने जाएंगे। ऐसे में पंचायत चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी में जुटे जनप्रतिनिधियों की आस फिर जगी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 15 अक्टूबर से पहले ये चुनाव संपन्न करवाने हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में ही प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है। यह आगामी 11 या 12 सितंबर के आसपास प्रभावी हो सकती है। हालांकि ये चुनाव पहले आरक्षण के पेंच के चलते अटक गए, उसके बाद कोरोना आ गया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से पंचायती राज के चुनावों को लेकर आस जगी है। इसे देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां भी तेज कर दी हैं।
बता दें कि प्रदेश के 26 जिलों में मतदाता सूचियों का काम पूरा हो चुका है, जबकि शेष के लिए प्रक्रिया जारी है। वहीं पंचायत चुनाव का नया कलैण्डर भी जल्द ही जारी होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव के आखिरी चरण में ग्राम पंचायतों के साथ ही पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव भी होंगे।
26 जिलों में होने हैं चुनाव….
प्रदेश के 26 जिलों में पंचायत चुनाव होने है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, दौसा, धौलपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही, श्रीगंगानगर व उदयपुर जिले में चुनाव होने हैं।
3500 से अधिक पंचायतों में होने हैं चुनाव
नवगठित पंचायतों के हिसाब से प्रदेश की 11 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में से 3500 से अधिक ग्राम पंचायतों में चुनाव होने हैं। वहीं अन्य ग्राम पंचायतों के चुनाव तीन चरणों में पहले ही संपन्न करवाए जा चुके हैं।
कांग्रेस और भाजपा के लिए काफी अहम होंगे ये चुनाव
बात करें चुनावी समीकरण की, तो राजनीतिक परिदृश्य में ये चुनाव काफी अहम माने जा रहे हैं। भाजपा जहां इन चुनावों में अपनी साख बचाने की पुरजोर कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस की अंदरूनी कलह का इसपर खासा असर देखने मिल सकता है। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल विस्तार भी इन चुनावों के बाद ही होने की संभावना है। ऐसे में गहलोत और पायलट खेमा इन चुनावों में अपना राजनीतिक वर्चस्व दिखा सियासी बढ़त हासिल करना चाहेगा।