कोरोना से पूर्व मंत्री जमुना प्रसाद बोस का निधन, खादी के कपड़ों में सादगी से गुजार दी पूरी उम्र
रिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री जमुना प्रसाद बोस का सोमवार की शाम लखनऊ के डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल
वे लगभग 95 वर्ष के थे। उनके निधन से सपा सहित अन्य दलों के नेताओं ने भी गहरा दुख जताया है। अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन के अनुसार लखनऊ में ही होगा। जमुना प्रसाद बोस को बुंदेलखंड का गांधी भी कहा जाता था। वे ईमानदारी की बेमिसाल थे।1974 में सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधायक बने। 1978 रामनरेश मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने। 1985 में बांदा से विधायक रहे। 1989 में मुलायम सिंह सरकार में भी कैबिनेट मंत्री थे। आपातकाल के दौरान जेल भेजे जाने से उन्हें लोकतंत्र रक्षक सेनानी का दर्जा भी हासिल था।
उनके निधन की खबर आते ही शोक संदेशों का तांता लग गया। उनका परिवार फिलहाल लखनऊ में ही है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि बोस जी पूरे प्रदेश के नेता थे। पूरा जीवन गरीबों के लिए संघर्ष किया। लोहिया और मुलायम सिंह यादव के नजदीकी रहे। उनके निधन की क्षति अपूर्णनीय है।
चार बार विधायक, दो बार मंत्री, घर किराए कापूरी उम्र सादगी से भरी रही। आजीवन खादी के कपड़े (कुर्ता-धोती) पहना। चार बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री रहने के बाद भी जमुना प्रसाद बोस की ईमानदारी की एक बानगी थी कि खुद का निजी मकान नहीं बना पाए। विधायकी और मंत्रित्व काल के अलावा शेष जीवन भी किराए के मकान में गुजारा।
अपने परिवार और बेटों को कभी राजनीति में नहीं डाला। इन्हीं सब खूबियों के चलते उन्हें बुंदेलखंड का गांधी कहा जाता था। बांदा शहर के खिन्नी नाका मोहल्ले में संकरी गली के अंदर छोटे से किराए के मकान में रहकर अन्य नेताओं को सादगी और ईमानदारी का सबक देने वाले जमुना प्रसाद बोस बचपन से ही सामाजिक और क्रांतिकारी मिजाज के थे।