नई दिल्ली- फ्रांस की व्यंगात्मक साप्ताहिक शार्ली हेब्दो ने मंगलवार को कहा है कि वह पैगंबर मोहम्मद पर बेहद विवादास्पद कार्टून फिर से छापने जा रहा है। गौरतलब है कि उसी विवादास्पद कार्टून की वजह से 2015 में उस मैगजीन के दफ्तर पर हमला हो गया था, जिसमें फ्रांस के कई नामी कार्टूनिस्ट समेत 12 लोग मारे गए थे। असल में बुधवार से उस केस में सुनवाई शुरू हो रही है और उसी को यादगार बनाने के लिए मैगजीन ने फिर से पुराने कार्टून को प्रकाशित करने का फैसला किया है। शार्ली हेब्दो ने साफ कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो ना तो हार मानने वाले हैं और ना किसी के सामने झुकने वाले हैं।
पैगंबर मोहम्मद पर फिर कार्टून छापेगा शार्ली हेब्दो
2015 में मुस्लिम बंदूकधारियों के नरसंहार का शिकार बने फ्रांस की व्यंगात्मक साप्ताहिक शार्ली हेब्दो ने ऐलान किया है कि उस हमले की ट्रायल शुरू होने जा रही है, जिसे यादगार बनाने के लिए फिर से पैगंबर मोहम्मद पर वही कार्टून छापेगा, जो बहुत ही विवादास्पद हुआ था। गौरतलब है कि बुधवार से शार्ली हेब्दो के दफ्तर पर हुए हमले के मामले में सुनवाई शुरू होने जा रही है। इस मौके पर शार्ली हेब्दो के डायरेक्टर लौरेंट रिस सौरीस्यू ने मैगजीन के ताजा अंक में कार्टून को फिर से प्रकाशित करने को लेकर लेकर लिखे संपादकीय में कहा है, ‘हम कभी नहीं झुकेंगे। हम कभी हार नहीं मानेंगे।’ 7 जवनरी, 2015 को हुई उस घटना में 12 लोग मारे गए थे, जिनमें फ्रांस के कुछ बहुत ही नामी कार्टूनिस्ट भी शामिल थे।
आतंकियों ने यहूदी सुपरमार्केट पर भी हमला किया था
पेरिस स्थित शार्ली हेब्दो के दफ्तर पर उस दिन दो आतंकी भाइयों सैद और शेरिफ कोउची ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। इस नरसंहार के बाद अपराधियों को तो मार गिराया गया था, लेकिन हमले में शामिल उनके और साथियों, जिन्होंने यहूदी सुपरमार्केट को भी निशाना बनाया था, उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई शुरू हो रही है। शार्ली हेब्दो के नए अंक के कवर पर एक दर्जन कार्टून दिखाई देंगे, जो 2005 में पहले डेनमार्क के अखबार जिलैंड्स-पोस्टेन में प्रकाशित हुए थे और फिर 2006 में शार्ली हेब्दो ने ही उन्हें फिर से छापा था। उस कार्टून के छपने के बाद पूरी दुनिया के मुसलमानों में बहुत ज्यादा गुस्सा भड़क गया था।
‘यह सब, बस उसके लिए’
इसबार मैगजीन की कवर इमेज के केंद्र में पैगंबर का वह कार्टून लगाया गया है, जो शार्ली के कार्टूनिस्ट जीन काबूट ने बनाया था। उस हमले में कार्टूनिस्ट काबूट की भी जान चली गई थी। यही वजह है कि मैगजीन के पहले पन्ने पर हेडलाइन में सिर्फ यह लिखा है- ‘यह सब, बस उसके लिए’। संपादकीय में लिखा गया है कि कार्टून को फिर से प्रकाशित करने का अब सही समय है, क्योंकि ट्रायल शुरू हो रहा है। इसे बहुत ही ‘आवश्यक’ बताया गया है। संपादकीय कहता है कि, ‘हमें जनवरी 2015 से अक्सर कहा जाता है कि मोहम्मद के दूसरे हास्य चित्र छापिए।’ लेकिन, ‘हमने हमेशा ऐसा करने से मना किया है, इसलिए नहीं कि इसपर पाबंदी है—-कानून हमें इसकी इजाजत देता है, लेकिन ऐसा करने के लिए एक जरूरी कारण की आवश्कता थी, ऐसा कारण जिसका अर्थ हो और जिससे कुछ बहस शुरू हो सके।’
‘आई एम शार्ली’
आज फ्रांस में शार्ली हेब्दो फ्री स्पीच का चैंपियन बन चुका है। हालांकि, कई लोग ऐसा भी सोचते हैं कि इसने कई बार सीमाएं भी लांघी हैं। लेकिन, उस नरसंहार ने फ्रांस को एकजुट कर दिया और ‘आई एम चार्ली’ का नारा खूब वायरल हुआ। बड़ा सवाल है कि मैगजीन के इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देखने को मिलती है।