हरियाणा और दिल्ली का गौरव बढ़ाने वाले वालीबॉल के खिलाड़ी को सिर पर ईंटे ढोकर गुजर-बसर करनी पड़ रही है। 29 वर्ष के इस चैंपियन को मजबूरी में मजदूर बनना पड़ा। दिन में दिहाड़ी करने के बाद शाम को मैदान पर पहुंचकर अभ्यास करते हैं। गांव के बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं। प्रतिभावान होने के बावजूद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ये है पट्टीकल्याणा के सिंदर कालिया। राज्य व राष्ट्रीय वालीबॉल चैंपियनशिप में 12 पदक जीत चुके हैं। प्रतिभावान होने के बावजूद दिल्ली और हरियाणा, दोनों सरकारों की अनदेखी से उन्हें नौकरी नहीं मिली। मकान निर्माण में सीमेंट व ईंटों की ढुलाई करके अपना व बुजुर्ग मां संतोष का पोषण करना पड़ रहा है। कोरोना की वजह से एक निजी स्कूल से वालीबॉल के ट्रेनर की नौकरी छूट गई।
सिंदर ने बताया कि 18 साल पहले जिला स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में चार पदक जीते। पिता चंद्र सिंह का सपना था कि बेटा कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर देश का नाम रोशन करे। पिता ने प्लॉट बेच दिया और खुराक के लिए रुपये जुटाए। घर की आर्थिक हालत खराब हो गई और कुश्ती छूट गई। चार साल पहले पिता की बीमारी से मौत हो गई।
कोलकाता से लेकर मुंबई तक बंजा डंका
सिंदर ने बताया कि कुश्ती छूट जाने के बाद तनावग्रस्त हो गया था। दोस्तों ने सलाह दी कि लंबाई अच्छी है। वालीबॉल खेलना शुरू कर दे। इस खेल में खर्च भी नहीं है। उनकी सलाह पर खेलना शुरू किया और दो साल में ही स्टेट चैंपियन बन गया। कोलकाता में कई प्रतियोगिता जीतीं। मुंबई पुलिस की ओर से कई गैर सरकारी प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया। हिसार के चौटाला गांव, चंडीगढ़ और गुजरात वालीबॉल खेल सेंटर में भी ट्रेनिंग ले चुका है।
हाथ की अंगुली कटी होने से फौज व पुलिस में नहीं हो पाया भर्ती
सिंदर ने बताया कि तीन साल की उम्र में चारा काटने वाली मशीन में बाएं हाथ की दो अंगुली कट गई थी। पदकों के हैसियत से फौज व मुंबई पुलिस में नौकरी मिल सकती थी, लेकिन अंगुली कटी होने से ऐसा नहीं हो पाया। रेलवे के लिए जमशेदपुर व हरियाणा के जगाधरी में ट्रायल दिया। नौकरी नहीं मिली। हरियाणा व दिल्ली सरकार ने भी नौकरी नहीं दी। अब रोजाना 450 रुपये की दिहाड़ी पर काम करना पड़ रहा है।
ये हैं उपलब्धि
-अंडर-17 नेशनल वालीबॉल चैंपियनशिप में दिल्ली की ओर से स्वर्ण पदक।
-यूथ नेशनल वालीबॉल चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
-अंडर-19 राज्यस्तरीय वालीबॉल प्रतियोगिता में पांच स्वर्ण पदक।
-जूनियर व यूथ वालीबॉल प्रतियोगिता में चार स्वर्ण पदक।
-सीनियर स्टेट में कांस्य पदक।