हरिद्वार: मंदिर तोड़े जाने की आशंका से भड़के संतो ने जताया रोष

  • मंदिर टूटने पर बैरागी संतों की चेतावनी
  • बैरागी कैंप में चार मंदिरों को तोड़े जाने के नोटिस मिलने के बाद बैरागी संप्रदाय से जुड़े संतों में उबाल आ गया है।
  •  मामला न सुलझने पर कुंभ के बहिष्कार की बात कही है। निर्णय लिया गया है कि अब से कुंभ मेले को लेकर बुलाई जाने वाले बैठक का बहिष्कार किया जाएगा।
  • श्रीमंहत कृष्णदास ने कहा कि वर्ष 2010 में भी इस तरह का नोटिस दिया गया था। लेकिन बाद में सरकार ने मंदिरों को हाथ तक नहीं लगाया।

रविवार को बैरागी कैंप स्थित अखाड़े में बैरागी अखाड़े से जुड़े संतों ने पत्रकार वार्ता की। प्रेस वार्ता में निर्वाणी अणी अखाड़े के श्रीमंहत धर्मदास, दिगंबर अणी अखाड़े के श्रीमंहत कृष्णदास, निर्मोही अणी अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्रदास, रामदास शामिल रहे। श्रीमहंत धर्मदास ने कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें बैरागी कैंप से अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया गया है, जो पूरी तरह साजिश की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि बैरागी संतों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि कई सालों से यहां बैरागी संत रह रहे हैं। कहा कि इस समस्या का शासन और प्रशासन को हल निकालना होगा। शासन और प्रशासन का पूरी तरह संतों ने बहिष्कार कर दिया है। अब बैरागी संत कोई भी कुंभ मेले की बैठक में शामिल नहीं होगा और न ही सरकार से सहयोग लेगा और देगा। उन्होंने कहा कि बैरागी संत जल्द ही सभी अखाड़ों के साथ बैठक करेंगे।

श्री महंत राजेंद्र दास ने कहा कि आदि-अनादि काल से बैरागी संत इस भूमि पर रुकते आये हैं। संतों के मंदिर को तोड़ने का नोटिस दिया जा रहा है, लेकिन उनकी जमीन से कुछ दूरी पर बड़े-बड़े मकान बने हैं, उन पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार कुंभ से पहले इस भूमि को अखाड़े के नाम करे, जिससे यह विवाद समाप्त हो सके। ऐसा न करने पर उन्होंने कुंभ मेले के बहिष्कार की चेतावनी दी है। कहा कि मामला नहीं सुलझा तो बैरागी संत कुंभ मेले के बहिष्कार का भी मन बना सकते हैं। कहा कि बैरागी संतों के साथ अन्याय किसा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस भूमि के विवाद को बीते दिनों हुई मुख्यमंत्री के साथ बैठक में उठाया गया था, लेकिन इस पर सीएम ने कोई खास चर्चा नहीं की।

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