हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का आज है जन्मदिन ।

ई दिल्ली
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज 114वां जन्मदिन है। आज ही के दिन सन 1905 में इलाहाबाद में उनका जन्म हुआ था। प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में पैदा हुए ध्यानचंद को खेल जगत की दुनिया में ‘दद्दा’ कहकर पुकारते हैं। ध्यानचंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार आदि दिए जाते हैं। इस बार खेल रत्न पुरस्कार पैरा ऐथलीट दीपा मलिक और पहलवान बजरंग पूनिया को दिया जाएगा

6 साल की उम्र में ध्यानचंद भारतीय सेना के साथ जुड़ गए। इसके बाद ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद को हॉकी का इतना जुनून था कि वह काफी प्रैक्टिस किया करते थे। वह चांद निकलने तक हॉकी का अभ्यास करते रहते। इसी वजह से उनके साथी खिलाड़ी उन्हें ‘चांद’ कहने लगे थे।

1928 एम्सटर्डम ओलिंपिक गेम्स में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी थे। उन खेलों में ध्यानचंद ने 14 गोल किए। एक अखबार ने लिखा था, ‘यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था। और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’

1932 के ओलिंपिक फाइनल में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया था। उस मैच में ध्यानचंद ने 8 और उनके भाई रूप सिंह ने 10 गोल किए थे। उस टूर्नमेंट में भारत की ओर से किए गए 35 गोलों में से 25 गोल इन दो भाइयों की जोड़ी की स्टिक से निकले थे। इसमें 15 गोल रूप सिंह ने किए थे। एक मैच में 24 गोल दागने का 86 साल पुराना यह रेकॉर्ड भारतीय हॉकी टीम ने 2018 में इंडोनेशिया में खेले गए एशियाई खेलों में हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से मात देकर तोड़ा।

ध्यानचंद कितने मशहूर थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बर्लिन ओलंपिक के 36 सालों बाद जब उनके बेटे अशोक कुमार जर्मनी में हॉकी खेलने पहुंचे तो एक शख्स स्ट्रेचर पर उनसे मिलने आया था।

ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। तीनों ही बार भारत ने ल्ड मेडल जीता।

एक मैच में ध्यानचंद गोल नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने मैच रेफरी से गोल पोस्ट की चौड़ाई जांचने को कहा। जब ऐसा किया गया तो हर कोई हैरान रह गया। गोलपोस्ट की चौड़ाई मानकों के हिसाब से कम थी।

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