बैंकों को कर्ज देने से डरना नहीं चाहिए, धोखेबाजों से निपटने के खोजें तरीके : RBI

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक(Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास(Governor Shaktikanta Das) ने को बैंकों को कर्ज देने के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा कि जोखिम से जरूरत से ज्यादा बचने की प्रवृत्ति उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है, इसलिये उन्हें आगे बढ़कर कर्ज देना चाहिये और धोखाधड़ी को भांपने और समझने के पुख्ता इंतजाम करने चाहिये.

दास ने एक एक वेब गोष्ठी में यह बात कही. उन्होंने माना कि कोविड-19(COVID-19) संकट से बैंकों के लिये पूंजी क्षरण होगा, लेकिन कुल मिलाकर बैंकिंग प्रणाली(banking system) मजबूत और स्थिर बनी हुई है. गौरतलब है कि इस समय बैंकों की ऋण वृद्धि घटकर छह प्रतिशत से कम रह गई है और कई लोगों के लगता है कि बैंक परिसंपत्तियों(Assets) की गुणवत्ता की चिंता लेकर जोखिम उठाने से बच रहे हैं और कम कर्ज दे रहे हैं.

रिजर्व बैंक(Reserve Bank) की इसी सप्ताह जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में धोखाधड़ी के मामले दोगुने होकर 1.85 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गये. दास ने कहा कि बैंकों को धोखाधड़ी को रोकने की अपनी क्षमता में सुधार लाने की पर्याप्त गुंजाइश है, ताकि वे कमजोरियों की तुरंत पहचान कर सकें.

उन्होंने कहा कि बैंकों की जोखिम प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि वह विभिन्न कारोबार में धोखाधड़ी को पहले ही भांप ले और बाहरी माहौल में बदलाव के साथ पैदा होने वाले जोखिमों की समय रहते पहचान कर ले.

दास ने कहा कि हाल में धोखाधड़ी के जो मामले सामने आए हैं, उनके मूल में कर्ज को मंजूरी देते समय या मंजूरी के बाद ऋण की निगरानी में संबंधित बैंक की प्रभावशाली जोखिम प्रबंधन क्षमता का अभाव रहा है.

दास ने कहा कि कर्ज देने से बचने की जगह बैंकों को अपने जोखिम प्रबंधन और प्रशासनिक(Risk Management and Administrative) ढांचे में सुधार करना चाहिए और खुद में पर्याप्त लचीलापन लाना चाहिए.

दास ने कहा कि मौजूदा महामारी के कारण बैंकों का पूंजी आधार प्रभावित होगा. उन्होंने पूंजी जुटाने की योजना बना रहे बैंकों के लिये अपनी शुभकामनायें दोहराई.

उन्होंने कहा, ‘‘बैंक तनाव का सामना करेंगे, यह जाहिर सी बात है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बैंक चुनौतियों के समक्ष किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं और किस प्रकार उनका सामना करते हैं.’’

उन्होंने कहा कि ऋण की किश्त अदायगी पर रोक एक अस्थाई समाधान था और ऋण पुनर्गठन से कर्जदारों को टिकाऊ राहत मिलने की उम्मीद है.

आरबीआई गवर्नर(RBI Governor) ने कहा कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए किए गए उपायों को जल्द नहीं हटाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि महामारी की रोकथाम के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूती के रास्ते पर लाने के लिए सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा और किसी भी तरह से यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई उपायों को जल्द हटा लेगा.

इसी कार्यक्रम में निजी क्षेत्र के सबसे बडे़ बैंक एचडीएफसी बैंक(HDFC bank) के प्रमुख आदित्य पुरी ने अपने बैंक में जोखिम से बचने की प्रवृति को लेकर इनकार किया और कहा कि बैंक ने पिछली तिमाही के दौरान मूल ब्याज आय में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है.

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