हरियाणा में 1200 अवैध कॉलोनियां होंगी नियमित,

गुरुग्राम। जिले के पुरानी अवैध कॉलोनी को अब नियमित होंगी। उनमें बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। गुरुवार को प्रदेश सरकार ने 600 दिन का कार्यकाल पूरा करने के अवसर पर हरियाणा के 1200 अवैध कालोनियों को वैध करने की मंजूरी दी। इन अवैध कॉलोनियों की पोर्टल पर आई जानकारी के बाद सरकार ने फैसला लिया। इसमें गुरुग्राम के 75 कॉलोनियां हैं। पोर्टल पर जानकारी देकर सरकार से बिजली, पानी, सड़क, सीवर जैसे मूलभूत सुविधाएं देने की मांग की गई थी।

डीटीपी के अनुसार पोर्टल पर गुरुग्राम से 75 पुरानी कॉलोनियों के आवेदन प्राप्त हुए थे। इसमें न्यू पालम विहार फेज-1, भोंडसी के देवांश नगर, एसआर ग्रीन सिटी, खेरली लाला, लोटस सेलिब्रेशन सिटी, सिलानी, रेयान एन्क्लेव भोंडसी, दादा भैया सोसायटी बसई, एनकेवी रेजीडेंसी सेक्टर- 72, अंजना कॉलोनी खांडसा, शिव कॉलोनी नाहरपुर रूपा, धनकोट एन्क्लेव आदि अवैध कॉलोनी शामिल हैं। ये सभी कॉलोनियां 20 साल पहले विकसित हुई थी। इन कॉलोनियों में ढाई से तीन लाख से अधिक लोगों की आबादी है। इससे कॉलोनी के लोगों में खुशी की लहर है।

कॉलोनी के लिए ये थे मापदंड:

डीटीपी प्रवर्तन के अनुसार डेवलपर या आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों को पोर्टल पर कॉलोनियों की कई महत्वपूर्ण जानकारी मांगी गई थी। इसमें कालोनी की जानकारी, कालोनी की लोकेशन, कालोनी का कुल क्षेत्रफल, निर्मित मकानों की जानकारी, खाली प्लाटों की जानकारी, रहने वाले परिवारों की संख्या, कालोनी का नक्शा, कौन-से साल में कालोनी विकसित हुई, कालोनी में वर्तमान में दी जा रही सुविधाएं आदि। इसके अलावा सीवर लाइन डाली या नहीं, सड़कों की चौड़ाई और रोड मैप, बिजली के मीटरों की वर्तमान स्थिति, पार्क है या नहीं, कम्युनिटी साइट का प्रावधान है नहीं ये सभी जानकारी देने के बाद सरकार ने अवैध से वैध करने की मंजूरी दी है।

टैक्स देने के बाद मिलेंगी सुविधाएं:

सरकार ने अवैध कॉलोनी को वैध करने के बाद उन्हीं कॉलोनियों को सुविधा देगी, जो टैक्स देगा। उसी अनुसार सुविधाएं देने के लिए विभाग योजना तैयार करेगा। डीटीपी के अनुसार पंजाब शिडयूल रोड एंड कंट्रोल्ड एरिया अनियमित विकास प्रतिबंध क्षेत्र एक्ट 1963 व हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट एक्ट 1975 के तहत जिन कालोनियों को रोकने के लिए समय-समय कारण बताओ नोटिस और रिस्टोरेशन के आदेश दिए गए, लेकिन एक समय के बाद भी कालोनी विकसित हो गई, पुरानी है। कालोनी का ज्यादातर हिस्सा विकिसत हो चुका है, ऐसी कालोनियों के डेवलपर या आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि उक्त सुविधाओं को पाने के लिए पोर्टल पर जानकारी मांगी गई थी।

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