अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में अनियमितताओं की व्यापक जांच होगी। पंजाब सरकार इस मामले में बेहद सख्त है। मुख्यमंत्री भगवंत मान बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। उन्होंने इस मामले से जुड़ी फाइलें मंगवाई और उनकी जांच की। जांच में अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। सरकार ने व्यापक जांच का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछली सरकार में कितनी धनराशि जारी की गई है, इससे जुड़ी जानकारी जुटाई और फाइलों को देखा। सीएम ने कहा कि हम दोषियों पर कार्रवाई जरूर करेंगे।
सीबीआई कर रही है जांच
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही इस घोटाले की जांच कर रही है। इस मामले में अभी तक कई संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की जा चुकी है। हालांकि विधानसभा चुनाव के कारण यह घोटाला ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन अब नई सरकार ने एक बार फिर मामले को लेकर फाइल तलब कर ली है।
धर्मसोत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
कहा यह भी जा रहा है कि पूर्व मंत्री साधु सिंह धर्मसोत पर शिकंजा कसा जा सकता है। बता दें कि पिछली पंजाब सरकार में कथित घोटाले का मामला सामने आया था। तब मंत्री साधु सिंह धर्मसोत पर सवाल उठे थे। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के वजीफे में घोटाले के भी आरोप लगे थे।
यह है पूरा मामला
यह घोटाला 2019 में पूर्व सामाजिक न्याय मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के कार्यकाल के दौरान सामने आया था, जब तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय) कृपा शंकर सरोज ने अपनी रिपोर्ट में अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के वितरण में 55.71 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। यह खुलासा किया गया कि निजी संस्थानों को 16.91 करोड़ रुपये गलत तरीके से वितरित किए गए थे।
सीएम ने किया ट्वीट
सीएम भगवंत मान ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि पिछली सरकार के दौरान जारी छात्रवृत्तियों की फाइलें मेरे सामने आईं। मैंने निजी संस्थानों को दिए जाने वाले फंड में अनियमितताएं देखीं। हमारे एससी छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाने वाले दोषियों के खिलाफ हम निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे।
कैग की रिपोर्ट में 2012 से 2017 के बीच भी हेराफेरी का खुलासा
2018 में पंजाब के निजी व सरकारी कालेजों में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) योजना में अनियमितताओं का मुद्दा लोकसभा तक भी पहुंचा था। संसद में रखी गई कैग की रिपोर्ट में पंजाब समेत पांच राज्यों में एससी विद्यार्थियों की पीएमएस योजना में बड़ा घोटाला का खुलासा हुआ था।
पंजाब में 6.29 लाख स्कॉलरशिप के दावों में 3275 विद्यार्थियों के कागजात का एक से अधिक बार उपयोग करते हुए शैक्षिक संस्थानों ने दोहरी छात्रवृत्ति राशि हड़पी। वहीं अनेक शैक्षिक संस्थानों ने एससी विद्यार्थियों से रजिस्ट्रेशन फीस, एग्जामिनेशन फीस, स्कूल फंड आदि के नाम पर पैसा तो वसूली ही, इन मदों के लिए सरकार से भी पीएमएस के तहत मोटी रकम हासिल कर ली, जो उन्होंने एससी विद्यार्थियों को नहीं लौटाई। कैग ने अप्रैल, 2012 से मार्च, 2017 तक सूबे के छह जिलों के शैक्षिक संस्थानों के दस्तावेज की जांच करते हुए 15.63 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा अपनी रिपोर्ट में किया है।