समान नागरिक: सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से 30 दिनों में मांगे गए सुझाव

विधि आयोग ने बुधवार को समान नागरिक संहिता के मसले पर नए सिरे से परामर्श मांगने की प्रक्रिया शुरू की है। आयोग ने सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर राय मांगी है। केंद्र ने एक बयान में कहा, ”शुरू में भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर विषय की पड़ताल की थी और 07.10.2016 की प्रश्नावली और उसके बाद 19.03.2018, 27.03.2018 और 10.4.2018 की सार्वजनिक अपील/नोटिस के साथ अपनी अपील के माध्यम से सभी हितधारकों के विचार मांगे थे।

21वें विधि आयोग ने परिवार कानूनों में सुधार की कही थी बात 

बयान में कहा गया है, ”पूर्व की कवायदों के तहत आयोग को भारी प्रतिक्रियाएं मिली हैं। 21वें विधि आयोग ने 31.08.2018 को “परिवार कानून के सुधार” पर परामर्श पत्र जारी किया है। चूंकि उक्त परामर्श पत्र जारी करने की तारीख से तीन साल से अधिक समय बीत चुका है, इस विषय की प्रासंगिकता और महत्व और इस विषय पर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए, भारत के 22 वें विधि आयोग ने इस विषय पर नए सिरे से विचार-विमर्श करना उचित समझा है। आयोग ने लोगों को अगले 30 दिनों में समान नागरिक संहिता पर अपने सुझाव भेजने के लिए नोटिस जारी किया है।”

इच्छुक संगठन 30 दिनों के भीतर दे सकते हैं अपना सुझाव

भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में बड़े पैमाने पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने का फिर से फैसला किया है। जो लोग इच्छुक हैं वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर अपने विचार आयोग को भेज सकते हैं।

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