अब्दुल्ला आजम ने गांधी समाधि पर किया विरोध प्रदर्शन

रामपुर में 27 अगस्त को धरने की अनुमति न देने और धारा 144 लागू करने के विरोध में सपाई सड़कों पर आ गए। इस बीच स्वार सीट से सपा विधायक अब्दुल्ला आजम चमरौआ विधायक समेत चार लोग हाथ में तख्ती पकड़कर गांधी समाधि पर खड़े हो गए। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस व प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंच गए। उन्होंने हटने के लिए कहा, जिस पर अब्दुल्ला आजम ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चार लोगों का गांधी समाधि पर खड़े होना कोई अपराध तो नहीं है। हम यहां सिर्फ खड़े हैं और हमारा यहां रुकने का समय तय है। बोले कि रामपुर में तो पहले से ही लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। बाद में अफसरों के समझाने और तय समय पूरा होने के बाद वे वहां से चले गए।

समाजवादी पार्टी ने 27 अगस्त से आंबेडकर पार्क में सात दिन के विरोध प्रदर्शन के लिए जिला प्रशासन से अनुमति मांगी थी। जिस पर जिला प्रशासन ने अनुमति देने इनकार कर दिया। साथ ही रामपुर में धारा 144 लागू कर दी। जिसके तहत किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन और चार लोगों से अधिक लोग जमा होने पर शांतिभंग के तहत कार्रवाई की जाती है।

रविवार को सपा नेता आजम खां के बेटे व स्वार विधायक अब्दुल्ला आजम, चमरौआ सीट से विधायक नसीर अहमद खां, लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी रहे आसिम राजा, निवर्तमान जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल दोपहर करीब दो बजे गांधी समाधि स्थल पर पहुंच गए। जहां उनके हाथों में एक-एक तख्ती थी। जिस पर लिखा था कि 27 अगस्त के धरने को रोकने के लिए जनपद रामपुर में धारा 144 लागू करना लोकतंत्र और संविधान पर कुठाराघात है। जिसकी हम घोर निंदा करते हैं।

मामले की जानकारी मिलते ही सिविल लाइंस इंस्पेक्टर लव सिरोही, थाना कोतवाली इंस्पेक्टर गजेंद्र त्यागी गांधी समाधि पर पहुंच गए। उन्होंने इसकी जानकारी प्रशासनिक अफसरों को दी। जिसके बाद नगर मजिस्ट्रेट सत्यम मिश्रा भी वहां पहुंच गए। उन्होंने विधायक को समझाया। कहा कि बिना अनुमति के विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, जो गलत है। अब्दुल्ला आजम ने कहा कि हम किस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। कोई नारेबाजी हो रही है क्या। हमारा समय निश्चित है। जिसके बाद हम चले जाएंगे।सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि ये भी एक तरह से प्रदर्शन ही है। आपको हटना होगा, लेकिन तब तक उनका समय पूरा हो गया, जिसके बाद वे चले गए। इस दौरान अब्दुल्ला आजम ने कहा कि रामपुर जिला प्रशासन संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है। लोकतंत्र में हमें विरोध करने तक की इजाजत नहीं मिल रही है। क्या हालात हो गए हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर भी कई कटाक्ष किए।

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