अदानी ग्रुप ने लखनऊ एयरपोर्ट के बढ़ाए चार्ज, आपके फ्लाइट लेने पर पड़ेगा क्या असर

नई दिल्ली
हाल में ही अदानी ग्रुप ने 6 सरकारी एयरपोर्ट के लिए बोली लगाई थी और यह सभी एयरपोर्ट उसके हवाले कर दिए गए थे। अदानी ग्रुप ने (lucknow airport) के चार्ज में 10 गुना की वृद्धि कर दी है। अगर बात टर्नअराउंड चार्जेस की करें तो लखनऊ एयरपोर्ट ने प्राइवेट जेट (Private Jet) और इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए इसे काफी बढ़ा दिया है। एविएशन सर्किल में अनुमान लगाया जा रहा है कि अदानी ग्रुप के पास मौजूद अन्य पांच एयरपोर्ट के चार्जेस में भी वृद्धि की जा सकती है।

इनमें जयपुर, अहमदाबाद, गुवाहाटी, मैंगलोर और तिरुवंतपुरम एयरपोर्ट शामिल हैं। अहमदाबाद के अदानी ग्रुप ने साल 2019 में एयरपोर्ट के प्रबंधन और कामकाज के लिए बोली लगाई थी। उसकी बोली सफल साबित होने के बाद ये छह एयरपोर्ट उसके हवाले कर दिए गए हैं। इस समय देश भर के एयरपोर्ट पर लगने वाले चार्ज एयरपोर्ट इकनामिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) या सरकार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। AERA ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी है जो चार्ज में बदलाव का फैसला करती है।


AERA करती है चार्ज पर फैसला

अब तक एयरपोर्ट में इस तरह के चार में बदलाव करने वाली AERA हर 5 साल में इस पर फैसला करती है। लखनऊ एयरपोर्ट (lucknow airport) के मामले में पिछले साल ही 5 साल की अवधि खत्म हो चुकी है, लेकिन अगले 5 साल के लिए चार्ज के संबंध में कोई फैसला नहीं किया गया है। पिछले साल लखनऊ एयरपोर्ट (lucknow airport) को अदानी ग्रुप ने अपने नियंत्रण में ले लिया था।

सेवा में सुधार नहीं

लखनऊ के एयरपोर्ट ऑपरेटर अदानी ग्रुप ने ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी के रूप में एक नई कंपनी की नियुक्ति की है, जिसकी वजह से टैरिफ में वृद्धि की गई है। ऑपरेटर का हालांकि कहना है कि नई कंपनी की नियुक्ति के बाद भी सर्विस क्वालिटी में कोई सुधार नहीं देखा गया है। नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर एक बिजनेस जेट एयरक्राफ्ट ऑपरेटर ने कहा, “चार्ज में काफी वृद्धि करने के बाद भी ग्राउंड हैंडलिंग सर्विसेज में कोई सुधार नहीं देखा गया है।” लखनऊ एयरपोर्ट (lucknow airport) पर उतरने वाली बिजनेस जेट फ्लाइट वास्तव में मेडिकल इवेक्युएशन फ्लाइट्स होते हैं। अदानी ग्रुप से इस बारे में पूछे गए एक सवाल का कोई जवाब नहीं मिला।

सेवा की गुणवत्ता सुधारने को निजीकरण

केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट का निजीकरण इस उद्देश्य किया था कि इससे सेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी। एयरलाइन से जुड़ी संस्थाओं ने इसका विरोध किया था क्योंकि उन्हें डर था कि एयरपोर्ट चार्जेस में वृद्धि की जा सकती है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) और फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (FIA) ने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद एयरपोर्ट पर लगने वाले अधिक चार्ज का कई बार विरोध किया है।

निजीकरण का मॉडल बदला

भारत सरकार ने साल 2018 में एयरपोर्ट के नियंत्रण के लिए लगाई जाने वाली बोली की शर्त में बदलाव किया था। पहले के मॉडल पर एयरपोर्ट को रेवेन्यु शेयरिंग मॉडल पर निजी हाथों में दिया जाता था। इसे अब प्रति पैसेंजर रेवेन्यू मॉडल में बदल दिया गया है। दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट को रेवेन्यु शेयरिंग मॉडल पर निजी हाथों में दिया गया है जबकि अदानी ग्रुप को दिए गए छह एयरपोर्ट प्रति पैसेंजर रेवेन्यु मॉडल (per-passenger revenue model) पर दिए गए हैंI इसके बाद भी एयरपोर्ट चार्जेस में वृद्धि की जा रही हैI एयरपोर्ट को निजी हाथों में देने का उद्देश्य था कि निजी ऑपरेटर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने के लिए अपनी तरफ से निवेश करेंगेI

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