अफगानिस्तान: तालिबान का फरमान- एक साथ काम नहीं कर सकते महिलाएं और पुरुष

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होते ही वहां के लोग दहशत में आ गए हैं। तालिबान शासन लागू होते ही वहां के तौर-तरीके में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां अपनी सरकार लागू करते ही तालिबान ने बड़े-बड़े वादे किए थे वहीं ये सारे दावे अब खोखले होते दिखाई दे रहे हैं। 

दरअसल, तालिबान ने साफ कर दिया है कि महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने नहीं दिया जाएगा। अब अफगानिस्तान में लोकतंत्र की नहीं बल्कि शरिया कानून लागू किया जाएगा। 

 अफगानिस्तान में सिर्फ शरिया कानून के हिसाब से ही काम होगा
एक समाचार एजेंसी के अनुसार, तालिबान के सीनियर कमांडर वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा कि भले ही दुनिया की ओर से महिलाओं को काम करने की आजादी देने का दबाव बनाया जाए, लेकिन अफगानिस्तान में सिर्फ शरिया कानून के हिसाब से ही काम होगा।

बता दें कि इससे पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया था, तब उसने दावा किया था कि महिलाओं को शरिया कानून के तहत काम करने की इजाजत दी जाएगी, लेकिन अब एक महीने बाद तालिबान पूरी तरह से पलट गया है। 

40 साल सिर्फ इसलिए जंग लड़ी ताकि हम अफगानिस्तान में शरिया कानून वापस ला सके
हाशिमी ने कहा कि हमने 40 साल सिर्फ इसलिए जंग लड़ी है कि हम अफगानिस्तान में शरिया कानून वापस ला सके। शरिया कानून महिलाओं और पुरुषों को साथ में बैठने, काम करने की इजाजत नहीं देता है, और ये साफ है कि महिलाएं पुरुषों के साथ काम नहीं कर सकती हैं, ना ही उन्हें हमारे दफ्तर-मंत्रालयों में आने की इजाजत है। 

इसके साथ ही हाशिमी ने कहा है कि जिन क्षेत्रों में महिलाओं ने कुछ वक्त में बढ़त बनाई है, वहां पर भी उन्हें हटाने की जरूरत है। हालांकि, महिलाओं के लिए आने वाले वक्त में अलग से पढ़ाई और काम करने के सेंटर बनाए जा सकते हैं जहां सिर्फ महिलाएं ही हो।

बता दें कि सत्ता जमाने के बाद तालिबान ने महिलाओं-युवतियों पर अलग-अलग पाबंदियां लगा दी है।  कॉलेज में लड़के-लड़कियों के बीच में पर्दा लगाया जा रहा है ताकि वह एक दूसरे को देक न सके इसके अलावा बिना बुर्के के अगर कोई महिला मिल रही है तो तालिबान के लड़ाके उसे सड़क पर ही पीट रहे हैं।

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