नकली रेमडेसिविर के साथ, बिना लाइसेंस आईबुप्रूफेन टैबलेट भी बनाती थी ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के सूरजपुर स्थित ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन ही निर्मित नहीं हो रहे थे बल्कि बिना लाइसेंस के आईबुप्रूफेन और PCM टैबलेट भी निर्मित की जा रही थी। आईबुप्रूफेन और PCM टैबलेट का बड़ा जखीरा नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद के नेतृत्व में गई टीम ने बरामद किया है। सूरजपुर स्थित फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कार्यालय से ड्रग इंस्पेक्टर ने एक लाख 71 हजार आईबुप्रूफेन और PCM टैबलेट बरामद कर कंपनी को सील कर दिया है। ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पास इस दवाई के निर्माण को लेकर कोई अनुमति नहीं थी।

प्लास्टिक बास्केट्स में भरी जब्त की गई बिना लाइसेंंस तैयार दवाओं की खेप।

गौरतलब है कि इससे पहले ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बिना किसी अनुमति के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रही थी। रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले का खुलासा इंदौर क्राइम ब्रांच ने किया था। इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में डॉ. विनय त्रिपाठी को गिरफ्तार कर नकली रेमडेसिविर के 16 बॉक्स में 400 नकली वायल बरामद किए थे। एक बॉक्स में 25 इंजेक्शन थे। डॉ. विनय त्रिपाठी इस कंपनी को 2020 से चला रहा है और वर्तमान में इंदौर क्राइम ब्रांच की हिरासत में है। डॉ. विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के माध्यम से जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के पास इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन ऑथोरिटी ने कंपनी को इसके उत्पादन की अनुमति नहीं दी थी। वर्तमान में कंपनी पंटोप्रजोल इंजेक्शन का भी उत्पादन कर रही थी। इस इंजेक्शन की 52 हजार से अधिक सप्लाई इंदौर को भेजी गई थी।

कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि 15 अप्रैल को इंदौर क्राइम ब्रांच द्वारा डॉ. विनय त्रिपाठी को गिरफ्तार करने के बाद कंपनी का सारा काम उनका बेटा आयुष देख रहा है। उसे ही इस संबंध में जानकारी है कि यह दवाइयां जो तैयार की गई थीं कहां सप्लाई करनी थी। आईबुप्रूफेन और PCM टैबलेट बाजार में ट्यूलिप ब्रांड के तहत ही बेची जा रही थी। पिछले साल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते आई-ब्रूफेन की डिमांड बढ़ गई थी। इसके चलते विभिन्न कंपनियों ने इसका उत्पादन शुरू किया था, लेकिन मेडकिल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, ‘एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे आईबुप्रूफेन से बढ़ने वाला एक एंजाइम कोविड-19 संक्रमण को बढ़ा सकता है। यह दवा बुखार, दर्द या सूजन में लोग काउंटर से खरीदकर खाते हैं। कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी। अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था। स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था।

पिंटू ने बताया कि दिसंबर 2020 को डॉ. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं।

उधर इस कार्रवाई के बारे में नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद ने बताया कि गुरुवार को पुलिस की सहायता से कम्पनी में दविश देकर एक लाख 71 हजार आईबुप्रूफेन और PCM टैबलेट बरामद कर जब्त की हैं। इन्हें नूरपुर न्यायालय में पेश किया जा रहा है। कंपनी के पास इनका निर्माण करने की अनुमति नहीं थी यह मामला उस समय संज्ञान में आया जब वो बिना किसी अनुमति के रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले की जांच कर रहे थे

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