अमेरिका ने मैकमेहन लाइन का उठाया मुद्दा, भारत के कंधे पर बंदूक रख चीन पर साधा निशाना

पूरी दुनिया नए राजनीतिक समीकरण साधने में जुटी है। इस उथल-पुथल में जब भारत ज्यादा से ज्यादा गुट निरपेक्ष दिखना चाहता है… फिर उठा दिया है। इरादा, भारत के कंधे पर बंदूक रख चीन पर निशाना साधने का है।

109 साल पहले चीन और भारत के बीच नक्शे पर खींची गई ये लकीर नाकाम ब्रिटिश डिप्लोमेसी की वो विरासत है जिसने भारत और चीन को लगातार सीमा विवाद में उलझाए रखा है।

अब इसी तनाव का फायदा उठाने के लिए अमेरिकी संसद में दो सीनेटर्स ने एक रिजोल्यूशन पेश किया है। इस रिजोल्यूशन में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए मैकमेहन लाइन को चीन और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा माना गया है।

यूं तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर ये भारत के स्टैंड का खुला समर्थन दिखता है, लेकिन इस समर्थन की टाइमिंग अमेरिका की राजनीतिक मंशा पर सवाल जरूर खड़े करती है।

जानिए, क्या है मैकमेहन लाइन जिसे चीन नकारता रहा है और क्या है अमेरिकी सीनेट में पेश रिजोल्यूशन…इससे किसे फायदा और किसे है नुकसान…

चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई ने भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को चीन का नक्शा सौंपा जिसमें अरुणाचल प्रदेश चीन का क्षेत्र दिखाया गया था। नेहरू ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

नेहरू के इनकार और दलाई लामा को शरण देने के कारण 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया और चीनी सेना तवांग पर कब्जा कर महीने भर में ही इसे छोड़ कर वापस चली गई।

मजे कि बात ये है कि 1962 से पहले किसी चीनी नागरिक ने तवांग की धरती पर कदम नहीं रखा था।

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