मोदी सरकार के नाम एक और नया रिकॉर्ड, 21 साल में पहली बार आम आदमी ने कंपनियों को पछाड़ा

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर मोदी सरकार ने 21 सालों का इतिहास लट दिया है. दरअसल पहले ये होता था कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में कंपनियों की हिस्सेदारी ज्यादा होती थी लेकिन 21 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आम लोगों की हिस्सेदारी कंपनियों के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ी है. इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 9.45 लाख करोड़ रुपए रहा है. इसमें कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 4.57 लाख करोड़ रुपए का रहा है जबकि पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 4.69 लाख करोड़ रुपए और अन्य टैक्स 16,927 करोड़ रुपए रहा है.

इतिहास के आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो शुरू से ही ये देखा जाता रहा है कि टैक्स में कारपोरेट की हिस्सेदारी ज्यादा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2000-01 में कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 68,305 करोड़ रुपए था. इसमें कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन 35,696 करोड़ रुपए, पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 31,764 करोड़ रुपए और अन्य टैक्स कलेक्शन 31,764 करोड़ रुपए था.

ऐसे बदलते गए हालात

आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2000-01 से लेकर 2019-20 तक हर साल कारपोरेट टैक्स के मुकाबले आम लोगों की टैक्स भागीदारी कम रही है. लेकिन वित्तवर्ष 2020-21 में ऐसा पहली बार हुआ है जब कारपोरेट टैक्स कलेक्शन 4.57 लाख करोड़ रुपए रहा है. जबकि इस दौरान इनकम टैक्स कलेक्शन 4,69 लाख करोड़ रुपए का रहा है. साल 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी उस समय की बात करें तो उस दौरान कारपोरेट टैक्स का आंकड़ा 4.28 लाख करोड़ का था जबकि इनकम टैक्स केवल 2.65 लाख करोड़ का रहा था.

 7 साल का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन

वित्तवर्षकॉरपोरेट टैक्सइनकम टैक्स
2020-214.57  लाख करोड़4.69 लाख करोड़  
2019-206.78 लाख करोड़5.55 लाख करोड़
2018-197.69 लाख करोड़5.28 लाख करोड़
2017-185.71 लाख करोड़4.19 लाख करोड़
2016-174.84 लाख करोड़3.49 लाख करोड़
2015-164.53 लाख करोड़2.87 लाख करोड़
2014- 154.28 लाख करोड़2.65 लाख करोड़   ( स्रोत: इनकम टैक्स विभाग)

आम जनता की बढ़ी भागीदारी

बीते साल के मोदी सरकार के रिकॉर्ड को ही देखें तो इन 7 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोरोना के बाद भी आम जनता का टैक्स कलेक्शन कॉरपोरेट के उपर भारी पड़ा है. हालांकि कोरोना के कारण वित्तवर्ष 2020-21 के कुल टैक्स कलेक्शन में कमी दर्ज की गई है. लेकिन कोरोना के बावजूद आम लोगों ने टैक्स बढ़ने में अपनी हिस्सेदारी निभाई है

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