दंगा विरोधी कानून !

उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा विधानसभा एवं विधान परिषद् में प्रस्तुत लोक तथा निजी संपत्ति क्षति (संशोधन) विधेयक 2022 पारित हो गया है। महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति के हस्ताक्षर होते ही कानून बन जायेगा। विधेयक में प्रावधान है कि दंगा, उपद्रव, प्रदर्शन, जाम, हड़ताल आदि के दौरान सार्वजनिक (सरकारी) तथा निजी सम्पत्ति में तोड़-फोड़ करने, जलाने क्षतिग्रस्त करने और व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को चोट पहुँचाने अथवा जान से मारने की स्थिति में कड़ी सजा भुगतनी होगी व मोटा जुर्माना अदा करना पड़ेगा।

इस कानून की आवश्यकता विशेष रूप से तब पड़ी जब उत्तर प्रदेश में मुस्लिम सम्प्रदाय ने सीएए व एनआरसी के विरोध की आड़ में आगजनी, तोड-फोड बडे पैमाने पर उपद्रव कर आतंक मचाया था। राजधानी लखनऊ में करोड़ो रुपये मूल्य की सरकारी व निजी सम्पत्ति तहस-नहस कर दी गयी। योगी सरकार ने उपद्रवियों के फोटो सार्वजनिक किये थे और बड़ी संख्या में दंगाइयो पर जुर्माना लगाया था । दंगाइयों के समर्थन में कानूनची नेता सामने आये थे और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश को रद्द कर दिया, यही नही जुर्माना भी दंगाइयों को वापस करने का हुकम दे दिया, यह स्थिति तो उत्तर प्रदेश की थी पूरे देश ने देखा कि कृषि कानूनों को काला बताकर करोड़ों दिल्ली वासियों को 13 महीने तक बन्धक बनाये रखा गया। अरबो रूपये की राष्ट्रीय क्षति अलग से हुयी आजतक किसी ने नहीं बताया कि कानूनों में काला क्या था। सुप्रीम कोर्ट भी तमाशा देखती रही। समय की नजाकत को देखते हुए यह कानून उत्तर प्रदेश में आवश्यक हो गया था। आशा है कानून व्यवस्था बनाये रखने में इससे मद्द मिलेगी।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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