सिख विरोधी दंगे : उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को जमानत देने के फैसले पर रोक लगाई

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित दंगे और हत्या के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को दी गई जमानत पर रोक लगा दी है। इस मामले में मुकदमे की सुनवाई अभी चल रही है।

कुमार पहले ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगे से संबंधित हत्या के एक मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं।

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कुमार को नोटिस जारी कर विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा उनकी जमानत को दी गई चुनौती पर जवाब तलब किया है। एसआईटी ने सरस्वती विहार पुलिस थाने के अंतर्गत हुए दंगे और हत्या के मामले में कुमार को दी गई जमानत का विरोध किया है, जिसकी सुनवाई चल रही है।

दंगे से जुड़े मामलों की जांच कर रही एसआईटी ने केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अजय दिग्पाल के जरिये कहा कि कुमार जघन्य अपराध में संलिप्त थे और कुछ अहम गवाहों से अब भी पूछताछ की जानी है, ऐसे में उनको रिहा करने से सबूतों से छेड़छाड हो सकती है।

दिग्पाल ने कहा कि कुमार पहले ही इसी तरह के मामले में दोषी करार दिए जा चुके हैं और हिरासत में हैं।

अदालत ने चार जुलाई को दिए आदेश में कहा,‘‘उपरोक्त तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए इस याचिका पर प्रतिवादी (कुमार) को सभी माध्यमों से नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब वह 15 जुलाई तक दें और तबतक 27 अप्रैल के आदेश पर रोक रहेगी।

याचिकाकर्ता ने 27 अप्रैल को निचली अदालत द्वारा दिए गए आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें कुमार को सरस्वती विहार पुलिस थाने के अंतर्गत हुए दंगे और हत्या के एक मामले में जमानत दी गई है।

एसआईटी ने कहा कि मौजूदा मामला एस.जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुण दीप सिंह की हत्या का है जो राजनगर में रहते थे। इनके अलावा घटना में चार लोग घायल हुए थे।

याचिका में कहा गया कि दंगे और हत्या का मामला सरस्वती विहार पुलिस थाने में 1991 में दर्ज किया गया। यह मामला रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष वर्ष 1985 में एक महिला द्वारा दिए गए हलफनामे के आधार पर दर्ज किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here