अर्जेंटीना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर होने का एलान किया है। अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई के प्रवक्ता के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।
अमेरिका ने भी किया था डब्ल्यूएचओ से बाहर होने का फैसला
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने डब्ल्यूएचओ से बाहर होने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया था। उसके बाद अब अर्जेंटीना ने भी डब्ल्यूएचओ से बाहर होने का फैसला किया। मिलेई को ट्रंप का करीबी माना जाता है। ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने के बाद पहले ही दिन डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलने की घोषणा की थी। मिलेई के मुताबिक, इस कदम के पीछे की वजह डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य मुद्दों , खासतौर पर कोरोना महामारी, को संभालने के तरीके को लेकर गहरे मतभेद हैं।
‘महामारी से सही तरीके से नहीं निपटा डब्ल्यूएचओ’
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति के प्रवक्ता मैन्युएल अदोर्नी ने कहा कि मिलेई ने अर्जेंटीना को डब्ल्यूएचओ से बाहर होने का आदेश इस वजह से दिया, क्योंकि पूर्ववर्ती वामपंथी सरकार में देश में कई महीनों का लॉकडाउन लगाया गया था और डब्ल्यूएचओ ने इस महामारी से निपटने के लिए सही तरीके से काम नहीं किया। अदोर्नी ने यह भी कहा कि अर्जेंटीना को डब्ल्यूएचओ से शिकायत है कि यह संगठन अन्य देशों के राजनीतिक असर से स्वतंत्र नहीं है और इसके फैसलों में बाहरी दबाव महसूस होता है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये देश कौन हैं।
अर्जेंटीना ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन को अपनी संप्रभुता में दखल देने की अनुमति नहीं देगा, खासतौर पर स्वास्थ्य संबंधी मामलों में तो बिल्कुल भी नहीं।
डोनाल्ड ट्रंप ने भी लगाया था विश्व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप
ट्रंप ने भी डब्ल्यूएचओ पर कोरोना महामारी और अन्य वैश्विक संकटों को सही तरीके से न संभाल पाने का आरोप लगाया था। उनकी कहना था कि डब्ल्यूएचओ अमेरिका से अत्यधिक और अन्यापूर्ण तरीके से फंडिंग की मांग करता था, जबकि अमेरिका ही इसकी फंडिंग का सबसे स्रोत है।डब्ल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष स्वास्थ्य एजेंसी है, जो कोरोना महामारी, इबोला, एड्स और मंकीपॉक्स जैसी वैश्विक बीमारियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार है।