उठो, जागो, आगे बढ़ो – भारी खतरा मंडरा रहा है !

श्रीनगर: चिनार चौक पर मेडिकल स्टोर चलाने वाले कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू की दुकान में घुसकर इस्लामिक आतंकियों ने बहुत नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों ने एक मंदिर की मूर्ति को अपवित्र किया। सड़क किनारे खोमचा लगाने वाले बिहार के प्रवासी रेहड़ी वाले को भी गोली मार दी। श्रीनगर: शहर के गवर्नमेंट ब्यॉज हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर व शिक्षक दीपक चन्द की सनाख्त करके गोली से उड़ा दिया गया। श्रीनगर: सुरन कोट तहसील के चमरेज इलाके में आतंकियों ने घात लगाकर भारत के एक जेसीओ व 4 जवानों की हत्या कर दी। श्रीनगर: आतंकियों ने बिहार निवासी चाट विक्रेता की हत्या कर दी। 26 घंटो के भीतर चार गैर कश्मीरियों की हत्या से फैली दहशत को श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर देखा जा सकता है जहां बिहार व अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूर घाटी छोड़कर अपने पुश्तैनी जंगहो को लौटने को बेताब है।

इन समाचारों से पहले अफगानिस्तान में सिखों व गुरुद्वारों पर हमलों की खबरें आ चुकी थीं। पाकिस्तान के पंजाब व सिंध प्रांतों में मंदिरों को तोड़ने व हिंदू लड़कियों का जबरन निकाह कराने की खबरें आई थीं।

अब ढाका से खबरें आ रही है कि बांग्लादेश के 22 जिलों में जहां हिंदुओं की कुछ आबादी है, दुर्गा पूजा के पंडालों में आग लगाने के साथ ही हिंदुओं की हत्यायें की गईं। हाजीगंज, बांसखली, हटिया, पेकुआ, नानूयार दिखोरपार में हिंदुओं को चुन चुन कर मारा गया। दर्जनों मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया गया। सैकड़ों मकानों व दुकानों को आग लगा दी गई। ढाका: हिंदुओं का नरसंहार, महिलाओं का शीलहरण अभी भी नहीं थमा। नोआखाली में चौमुहानी क्षेत्र के श्री कृष्ण मंदिर पर हमला कर मंदिर के उपासक पार्थदास की हत्या कर समीप के तालाब में फेंक दिया गया।

हिंदुओं पर बर्बर अत्याचारों का सिलसिला पुराना है, अबू आजमी, ओवैसी अभ भी कहते हैं कि हमने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश बनाये हैं। 800 बरस तक हिंदोस्तान पर हुकूमत की। हमारे बादशाह ने जोधा बाई को अपने हरम में रखा। कश्मीर से हिंदुओं को भगाने और भारत से छीने गये हिस्सों से हिंदू-सिखों से मुक्त कराने का उनका एजेंडा सैकड़ों साल पुराना है, जो आज भी जारी है जिसे वे गजवाये हिन्द कहते हैं।

हमारे नेता इसे आतंकवादी गतिविधियां बताते हैं। विदेश मंत्रालय बयान जारी कर कहता है- हम हालात पर नज़र रखे हुए है। सेक्यूलरवादी गैंग तो पहले ही तय कर चुका है कि हिंदुओं पर अत्याचार अपराध नहीं, इसलिए चुप बैठे रहना है। लुटियन मीडिया को लखीमपुर खीरी और पंजाब-राजस्थान में चल रही राजनीतिक कबड्डी का आंखों देखा हाल सुनाने से फुर्सत नहीं। आश्रम तथा मठाधीशों के अपने ही झमेले हैं। अब हिंदुओं के पास करपात्री महाराज व प्रभुदत्त ब्रह्मचारी नहीं हैं। जिन कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक आधार पर देश को बांट दिया उनके वंशजों से गिला शिकवा करने का औचित्य ही क्या हैं। कागजी हिंदूवादी नेता आतंकियों, पाकिस्तान व बांग्लादेश के पुतले फूंक कर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं। जो सत्ताधीश मुट्ठी भर आंदोलनजीवियों से नहीं निपट पाये वे 2022 व 2024 की चिंता में डूबे हैं। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के हिंदुओं के नरसंहार व अत्याचार की बात छोड़िये वे तो पश्चिमी बंगाल में हिंदुओं के दमन को भी नहीं रोक पाये!

सारे विश्व को अपना कुटुम्ब मानने वाले हिन्दुओं को अपनी और देश से बाहर रहने वाले हिंदुओं की मान-मर्यादा व सुरक्षा के बारे में खुद कुछ सोचना पड़ेगा। हां सेक्यूलर हिंदू यह जरूर बतायें कि आतंकियों ने गोली मारने से पहले क्या पूछा था कि तुम सेक्यूलर हिंदू हो या सनातनी हिंदू?

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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