अरशद मदनी ने मुस्लिमों से एकजुट होने को कहा

जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नवनियुक्त उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता की इस लड़ाई में सभी वर्गों को शामिल करना जरूरी है और नफरत के माहौल को समाप्त करने के लिए एकजुट होकर मैदान में आना ही होगा। 

बुधवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में बढ़ती हुई खतरनाक सांप्रदायिकता के संबंध में जो बातें सामने आई हैं, उनको लेकर सरकार की जो सोच और व्यवहार है और जिस तरह उन चीजों को पूरे देश में प्रस्तुत किया जा रहा है वो नफरत और पक्षपात पर आधारित है। 

उन्होंने कहा नफरत को रोकने के लिए हमारे पास कोई ताकत नहीं है, लेकिन इसके उलट जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनके पास सत्ता की ताकत है। जिसे आज की दुनिया में सबसे बड़ी ताकत समझा जाता है। मगर आज भी ऐसी निराशाजनक स्थिति में आशा और विश्वास के चिराग रौशन हैं। देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो देश की वर्तमान स्थिति को गलत समझता है। एक विशेष वर्ग के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों से जो कुछ हो रहा है उसे वो अच्छी नजर से नहीं देखता, वो यह भी समझता है कि इस प्रकार की चीजें देश के लिए बहुत घातक हैं। 

मौलाना मदनी ने कहा सांप्रदायिकता के खिलाफ जंग में हम अकेले सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। हमें न केवल उस वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा के लोगों को अपने साथ लाना होगा। नफरत और सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने के लिए हमें मिल जुलकर आगे आना होगा। अगर हम ऐसा करेंगे तो कोई कारण नहीं कि सांप्रदायिक ताकतों को पराजित न कर सकें।

 सत्ता के संरक्षण में शक्तिशाली बने हैं नफरत फैलाने वाले
मौलाना अरशद मदनी का आरोप है कि सांप्रदायिकता और नफरत का यह खेल दक्षिण की तुलना में उत्तरी भारत में अपने चरम पर है। इसका मूल कारण राजनीतिक हित है। भड़काऊ भाषण और ऊटपटांग बयानों से समाज के स्तर पर सांप्रदायिक गोल बंदी की साजिश हो रही है, ताकि बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक से बिल्कुल अलग करके अपनी नापाक योजनाओं में सफलता प्राप्त कर ली जाए। उन्होंने कहा नफरत और सांप्रदायिकता की आग भड़काने वाले मुट्ठी भर लोग ही हैं, लेकिन वह शक्तिशाली इसलिए हैं कि उन्हें सत्ता में उपस्थित लोगों का संरक्षण प्राप्त है।

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