गणतंत्र दिवस से पहले पंजाब में अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान बॉर्डर पर देशभक्ती से ओतप्रोत माहौल देखने को मिला। अटारी-वाघा बॉर्डर पर जवानों का शौर्य देख दुश्मन खौफजदा नजर आए। इस दौरान मौजूद लोगों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम, हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के दौरान जवानों में जोश हाई दिखा।
यह महाराजा रणजीत सिंह की सेना के जनरलों में से एक, सरदार शाम सिंह अटारीवाला का पैतृक गांव था। पाकिस्तान की तरफ वाला द्वार, वाघा के नाम से जाना जाता है। जैसे भारत में ‘अटारी बॉर्डर’ कहा जाता है, उसी तरह पाकिस्तान में इसे ‘वाघा बॉर्डर’ के नाम से पहचाना जाता है।
इस समारोह के आयोजन के लिए दोनों देशों की सरकारों ने सहमति जताई थी। 1947 में भारतीय सेना को दोनों देशों को मिलाने वाले एनएच-1 पर स्थित संयुक्त चेक पोस्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। प्रारंभ में सेना की कुमाऊं रेजीमेंट ने जेसीपी के लिए पहली टुकड़ी प्रदान की थी।
11 अक्तूबर 1947 को ब्रिगेडियर मोहिंदर सिंह चोपड़ा द्वारा पहला ध्वजारोहण समारोह देखा गया था। अब अटारी में बने भव्य परिसर के निकट, सुपर किंग एयर बी-200 विमान (अब सेवा में नहीं) को स्थापित किया गया है।