देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने जून 2025 में कुल 1,67,993 यूनिट वाहनों की बिक्री दर्ज की, जो कि पिछले वर्ष जून 2024 में बेची गई 1,79,228 यूनिट के मुकाबले 6 प्रतिशत कम रही। हालांकि, कंपनी के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली, जिससे घरेलू बिक्री में आई कमी का आंशिक प्रभाव संतुलित हुआ।
घरेलू बिक्री में तेज गिरावट
मारुति ने इस साल जून में 1,30,151 यूनिट्स वाहनों की घरेलू बिक्री की, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 1,48,195 यूनिट्स था। यदि केवल पैसेंजर व्हीकल की बात करें, तो बिक्री 13 प्रतिशत घटकर 1,18,906 यूनिट्स पर सिमट गई। कंपनी की लोकप्रिय एंट्री-लेवल और कॉम्पैक्ट हैचबैक कारें जैसे Alto, S-Presso, Swift, Baleno और WagonR की कुल बिक्री 18 प्रतिशत गिरकर 60,591 यूनिट्स रही, जबकि पिछले साल जून में यह 73,444 यूनिट्स थी।
एसयूवी और अन्य मॉडलों की स्थिति
SUV श्रेणी में भी गिरावट देखने को मिली। Brezza, Fronx, Grand Vitara और Jimny जैसे मॉडल्स की बिक्री जून 2025 में घटकर 47,947 यूनिट्स रही, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 52,373 यूनिट्स थी। Eeco वैन की 9,340 यूनिट्स बिकीं। वहीं, Ciaz सेडान की बिक्री में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो जून 2024 में 572 यूनिट्स से बढ़कर जून 2025 में 1,028 यूनिट्स हो गई।
निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
जहां घरेलू बिक्री कमजोर रही, वहीं मारुति ने जून 2025 में अब तक का सबसे अधिक निर्यात किया। कंपनी ने 37,842 यूनिट्स वाहनों का एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के 31,033 यूनिट्स की तुलना में 22 प्रतिशत ज्यादा है। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों की ओर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अतिरिक्त, अन्य ब्रांड्स को की गई सप्लाई 8,812 यूनिट्स रही, जो मामूली बढ़ोतरी है।
घटती मांग का कारण – महंगी हो चुकीं छोटी कारें
कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती के अनुसार, बिक्री में गिरावट का मुख्य कारण छोटी कारों की घटती मांग है। उन्होंने कहा, “पहले पैसेंजर वाहनों की बिक्री देश की GDP ग्रोथ से लगभग डेढ़ गुना तेज होती थी, लेकिन अब जबकि GDP लगभग 6.5% की दर से बढ़ रही है, वाहन बिक्री लगभग स्थिर है। इसका मुख्य कारण यह है कि एंट्री-लेवल सेगमेंट इस ग्रोथ का हिस्सा नहीं बन पा रहा है।”
उन्होंने यह भी बताया कि 2019 से अब तक छोटी कारों की कीमतों में 70% तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके पीछे कड़े नियम, सुरक्षा मानकों और टैक्स स्ट्रक्चर जैसी वजहें जिम्मेदार हैं। नतीजतन, इस सेगमेंट की बिक्री में भी 70% की गिरावट आ चुकी है, जिससे कुल पैसेंजर वाहन बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा है।