एलोपैथी पर दिए गए अपने बयान की वजह से योगगुरु बाबा रामदेव सुर्खियों में बने हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के कहने के बाद रामदेव ने अपने बयान पर भले ही माफी मांग ली हो पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से उनका छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। बाबा का कहना है कि वह न तो एलोपैथी के खिलाफ और न ही डॉक्टरों के। उनकी लड़ाई तो उन ड्रग माफिया से है, जो दो रुपये की दवाई को 10 हजार रुपये तक बेच देते हैं।
एक न्यूज चैनल से बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा- ‘मेरी लड़ाई उन ड्रग माफिया के खिलाफ है जो गैर जरूरी ऑपरेशन करते हैं, गैर जरूरी टेस्ट करते हैं। ये मैं नहीं कहता। मेदांता हॉस्पिटल के हेड डॉक्टर नरेश त्रेहान और एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया भी यही कहते हैं।’ बाबा ने कहा कि वह आईएमए के खिलाफ नहीं है। आईएमए को अपनी राजनीति चलानी है, डॉक्टरों के बीच नेतागिरी करनी है तो उनके साथ लड़ाई का कोई सवाल ही नहीं है। आईएमए को वह गंभीरता से नहीं लेते।
रामदेव ने कहा- ‘मैं किसी विवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहता हूं। मैं मॉडर्न मेडिकल साइंस का बहुत सम्मान करता हूं। उन्होंने लाइफ सेविंग ड्रग्स दिए हैं और एडवांस सर्जरी की है। लेकिन 98 फीसदी बीमारियां चाहें वह बीपी हो, शुगर, थाइराइड, अर्थराइटिस हो या फिर फैटी लिवर, इनका इलाज हम योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी से कर सकते हैं।’ बाबा ने एक बार फिर कहा कि एलोपैथी पर उनके जिस बयान पर विवाद हुआ, वह उनका नहीं था, उन्होंने वॉटसऐप पर आए एक मैसेज को पढ़ा था