बागपत में चल रही चर्म शोधन इकाइयों को जिला प्रशासन व पुलिस ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया है। इसके विरोध में इकाई संचालकों के परिजनों ने पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया और विरोध कर रहीं महिलाओं को हिरासत में ले लिया।
भडल गांव में शनिवार को एसडीएम बड़ौत पूजा, सीओ युवराज सिंह व एनजीटी के अधिकारियों के नेतृत्व में थाना दोघट, रमाला, महिला थाने की पुलिस फोर्स व पीएसी बुलडोजर लेकर चर्म शोधन इकाइयों को ध्वस्त करने पहुंचे। पुलिस प्रशासन ने बुलडोजर से इकाइयों को ध्वस्त कराना शुरू कर दिया।
उधर, इकाई संचालकों के परिजन विरोध करने पहुंच गए। उन्होंने जेसीबी मशीन व पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। वहीं, महिलाएं पुलिस से भिड़ गईं। पथराव के चलते पुलिस को इधर-उधर भागकर जान बचानी पड़ी। बाद में पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर हंगामा कर रहीं महिलाओं व पुरुषों को हिरासत में लिया। इसके बाद इकाइयों को ध्वस्त करने का कार्य दोबारा शुरू किया गया।
एसडीएम पूजा ने बताया कि भडल गांव के बीच मे चर्म शोधन इकाइयां चल रहीं थीं। जिन्हें यहां से हटाने के लिए एनजीटी ने आदेश दिए हुए थे। इकाई संचालकों को कई बार नोटिस दिए गए लेकिन, इसके बाद भी इकाइयों को यहां से नहीं हटाया गया। जिसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्य में जिसने भी बाधा डालने की कोशिश की, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गांव में 84 चर्म शोधन इकाइयां चल रही थीं। जिनसे निकलने वाले दूषित पानी के कारण गांव में गंभीर बीमारियां फैल रही थीं। बीमारी के कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। ग्रामीणों ने इकाइयों को गांव से बाहर स्थानांतरण करने के लिए कई बार धरने भी दिए। एनजीटी में भी शिकायत की। तत्कालीन डीएम ने सभी इकाइयों को गांव से बाहर स्थानांतरित करने के निर्देश भी दिए थे। ग्राम प्रधान ने इकाइयों के लिए गांव से बाहर तीन बीघा जमीन भी दे दी थी। उसकी चार दिवारी कराई गई और पानी की व्यवस्था भी कर दी गई, लेकिन इसके बावजूद इकाइयों को गांव से बाहर स्थानांतरित नहीं किया गया। एनजीटी ने सभी इकाई संचालकों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन फिर भी इकाइयों को बंद नहीं किया गया।