एवरेस्ट समूह की पुमोरी चोटी फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बनी सोलन की बलजीत कौर

सोलन : सोलन की बेटी और पर्वतारोही बलजीत कौर माउंट एवरेस्ट समूह की पुमोरी चोटी पर फतह हासिल करने के बाद जून के दूसरे सप्ताह सोलन वापिस लौट रही हैं। बलजीत और उनकी साथी पर्वतारोही राजस्थान की गुणबाला शर्मा 7161 मीटर ऊंची चोटी पुमोरी पर विजय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। 12 मई की सुबह 8.40 पर पहले बलजीत कौर पुमोरी चोटी पर पंहुची और उनके कुछ ही देर बाद गुणबाला शर्मा भी शिखर पर पहुंची। बलजीत के साथ नूूरी शेरपा और गुणबाला के गेलू शेरपा ने इस अभियान को पूरा किया।  पुमोरी चोटी एवरेस्ट पर्वत श्रृंखला की कठिन चोटी है और सोलन की बलजीत इस पर विजय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल कर चुकी हैं। इससे पहले 10 मई को 2 भारतीय पुरूषों कुल्लू के हेमराज और स्तेंजिन नोरबो ने भी पहले भारतीय युगल के रूप में पुमोरी को फतह किया। 

इंडियन माउंटेन फाउंडेशन के अध्यक्ष रिटायर्ड ब्रिगेडियर अशोक अबे के अुनसार पुमोरी चोटी के लिए यह किसी भी भारतीय दल का पहला अभियान था जिसे भारतीय दल ने सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौर में भारतीय दल ने नेपाल में रहने के दौरान कोरोना प्रोटोकाल के तहत कड़े नियमों का पूरी तरह पालन किया। यह अभियान भारत के युवा मामले व खेल विभाग द्वारा प्रायोजित था जबकि सोलन की बलजीत कौर को सोलन के व्यवसायियों गोयल मोटर्स के एमडी सहज शब्द गोयल और मेरेडियन मेडिकेयर के एमडी विनोद गुप्ता आदि ने भी अभियान के लिए सहयोग किया। बलजीत के अभियान को मास्टर्स गेम फेडरेशन और हाकी क्लब आदि खेल संघों ने भी समर्थन दिया। 

बलजीत के अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद हिमाचल लौटने पर उनके स्वागत की तैयारी भी की जा रही है हांलाकि कोरोना के कारण स्वागत कार्यक्रम चंद लोगों की उपस्थिति में सूक्ष्म ही होगा। बलजीत के अभियान में योगदान देने वाले लोगों में सुरेंद्र जगोता, एडवोकेट उमेश शर्मा, पवन हनोथ, पकंज गुप्ता, सुरेंद्र कौशल आदि ने कहा कि बलजीत ने हिमाचल के साथ-साथ सोलन का नाम तो रोशन किया ही है ब्लकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले एवरेस्ट के एक अभियान के दौरान ऑक्सीजन मास्क की खराबी के चलते बलजीत कौर को अभियान छोड़ लौटना पड़ा था। उस दौरान उनके शेरपा के कहे गए शब्द कि फिर कोशिश करना एवरेस्ट यहीं रहेगा उनके लिए प्ररेणा बन गए और इस अभियान को बलजीत ने सफलतापूर्वक पूरा किया। बलजीत की शिक्षा सोलन कॉलेज से हुई है और इस दौरान ही बेहतरीन एनसीसी कैडेट के रूप में बलजीत ने अपनी पहचान बनाई थी।   

बलजीत कौर की इस उपलब्धि पर हिमाचल में तो खुशी की लहर है ही लेकिन बलजीत के अपने गांव ममलीग में इस उपलब्धि के मायने कहीं ज्यादा है। बलजीत के अभियान के दौरान गांव में लोगों ने उनकी सफलता के लिए दुआएं भी मांगी थी और रोजाना उनके अभियान की जानकारी भी हासिल कर रहे थे। 

उल्लेखनीय है कि एवरेस्ट पर्वत श्रृंखला में कुल चार चोटियों के लिए भारतीय दल अभियान पर निकला था। इन चार चोटियों में नुप्तसे 7862 मीटर, पुमोरी 7161 मीटर, लहोत्से 8516 मीटर और एवरेस्ट 8848 मीटर उचांई पर स्थित हैं। आईएमएफ के एक अधिकारी के अनुसार एवरेस्ट पर चढ़ाई अन्य तीन चोटियों के मुकाबले आसान मानी जाती है इसलिए भी भारतीय अभियान की सफलता का महत्व बढ़ जाता है। इन चार चोटियों के लिए कुल 12 सदस्यों के दल को भेजा गया था, जिसमें 6 पुरूष और 6 महिलाएं शामिल रहीं। भारतीय दल ने इस दौरान नेपाल सरकार द्वारा एवरेस्ट इलाके अप्पर खुम्बु ग्लेशियर के सफाई अभियान में भी सहयोग दिया। भारतीय दल के एक अधिकारी के अनुसार इन चार चोटियों पर फतह के लिए यह आज तक का सबसे छोटा पर्वतारोही दल था। दल में चार पर्वतारोही नुप्तसे, चार पुमोरी, दो लहोत्से और दो एवरेस्ट के लिए निकले थे। इन 12 पर्वतारोहियों का चुनाव पूरे देश के 565 पर्वतारोहियों में से किया गया था और चुनाव के बाद इन्हें कड़ा प्रशिक्षण भी दिया गया था। 

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