2017 से पहले कर्फ्यू और दंगे थे बरेली की पहचान, अब बन रही स्मार्ट सिटी: सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली में कहा कि 2017 से पहले बरेली की पहचान कर्फ्यू और दंगे थे,लेकिन अब यह स्मार्ट है और यहां कानून का राज है। बरेली को झुमका सिटी के रूप में जाना जाता था, मगर अब इसकी पहचान स्मार्ट सिटी के रूप में हो रही है। सीएम बुधवार को बरेली कॉलेज मैदान में प्रबुद्धजन सम्मलेन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान सीएम ने 1459 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार बनने के बाद यूपी विकास के पथ पर अग्रसर है। प्रधानमंत्री के लक्ष्य के हिसाब से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन बनाने का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन बनाने की घोषणा की है। प्रदेश सरकार उसी दिशा में काम कर रही है। 2017 के बाद बरेली में कभी दंगे नहीं हुए, कभी कर्फ्यू नहीं लगा। 


डबल इंजन की सरकार नए-नए कार्यक्रमों को बढ़ा रही है। लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिलें, इस पर फोकस किया जा रहा है। सरकार की मंशा हर व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की है। वहीं पूर्व की सरकारों से चंद लोगों को ही लाभ मिलता था। भाजपा सरकार की योजनाएं भ्रष्टाचार से मुक्त हैं। पारदर्शिता के साथ काम हो रहा है। उद्यमियों को सरकार सुरक्षा और सुविधा दोनों उपलब्ध करा रही है। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होगी। इसमें देश-दुनिया के निवेशक आएंगे। सीएम ने बरेली के उद्यमी, शिक्षकों, डॉक्टरों व प्रगतिशील किसानों को भी समिट में आमंत्रित किया।


डबल इंजन सरकार से जोड़ें तीसरा इंजन, विकास में आएगी तेजी

बरेली से पहले शाहजहांपुर के खिरनी बाग मैदान में आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन मुख्यमंत्री ने कहा कि सुविधाओं में वृद्धि और विकास की गति तेज करने के लिए डबल इंजन सरकार से नगर निकायों का तीसरा इंजन भी जोड़ें, ताकि शहरी क्षेत्र की जनता को बड़े पैमाने पर विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने कहा, शाहजहांपुर को स्मार्ट सिटी के साथ ही सेफ सिटी भी बनाएंगे। चौराहों पर ट्रैफिक मैनेजमेंट और सीसीटीवी कैमरे लगाकर लूटपाट की घटनाओं को रोकने का काम हो रहा है। इससे पहले योगी आदित्यनाथ ने बटन दबाकर 308 करोड़ की 87 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया। उन्होंने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले कई रंगों की स्ट्रीट लाइटें सड़क पर मिलतीं थीं। बिजली थी ही नहीं तो ये लाइटें जलतीं कहां से? अब सफेद रंग की एलईडी से सड़कें रोशन रहती हैं।

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