उत्तर प्रदेश का जिला बिजनौर… यहां के किसानों की कड़ी मेहनत, दो देशों के बीच मजबूत संबंध की गवाही बन रही है. किसान खेती कर फसल उगा रहे हैं, इससे उनको उसकी कीमत मिल रही है, वहीं भारत से करीब 7 हजार किलोमीटर दूर यूरोपीय देश बेल्जियम को इससे तगड़ी कमाई हो रही है. इन्हीं संबंधों के बीच हाल ही में बिजनौर में बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रीड पहुंची. उन्होंने भारत-बेल्जियम के रिश्ते को और मजबूत किया है. उनके आने के बाद जिले की तस्वीर बदल गई है और यहां के किसानों की बल्ले-बल्ले होने जा रही है.
राजकुमारी एस्ट्रीड बिजनौर आकर बेल्जियम की एग्रिस्टो मासा कंपनी के पोटेटो प्रोडक्ट की अपनी दूसरी यूनिट के मौके पर आयोजित हुई ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी समारोह में शामिल हुईं. इससे पहले 2019 में बेल्जियम की ऐग्रिस्टो और भारत के बेव ग्रुप की मासा ग्लोबल फूड प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी ने बिजनौर के महमूदपुर गंज में डेढ सौ बीघा जमीन पर ‘ऐग्रिस्टो मासा’ नाम से आलू प्रसंस्करण फैक्ट्री लगाई, जिनमें डिहाइड्रेटेड पोटेटो फ्लैक्स यानि आलू पाउडर का उत्पादन किया जा रहा है.
भारतीय जमीन पर विदेशी टेक्नोलॉजी वाली फैक्ट्री
इस फैक्ट्री की खासियत यह है कि भारत की जमीन पर फैक्ट्री बनाने में टेक्नोलॉजीऔर मानक सब बेल्जियम के इस्तेमाल किए गए हैं. जब फैक्ट्री बन ही रही थी कि तभी करोना आपदा का सामना करना पडा, फिर भी डेढ साल में फैक्ट्री बन कर तैयार हो गई. फैक्ट्री संचालको ने करोना के समय में ही बिजनौर के आसपास गांवो के पांच सौ किसानो को आलू की खेती करने के लिये प्रेरित किया.
किसानों को बीज, खाद, पेस्टीसाइड दवाई मुहैया करा कर खेतो में आलू की बुवाई से लेकर, आलू की फसल की देखभाल तक के लिऐ ऐग्रिस्टो मासा कम्पनी ने फील्ड पोटेटो सुपरवाइजरो को तकनीकी निगरानी के लिये छोड रखा था. यह किसानो को आलू की खेती करने के लिये प्रेरित करने के साथ साथ उत्पादन बढाने के लिये विदेशी तौर तरीके अपनाने पर भी जोर देते हैं, जिससे कम लागत में अधिक पैदावार होती गई. फैक्ट्री लगने से यहां के 2500 लोगों को नौकरियां मिली हैं.
चिली, अमेरिका, जापान, जर्मनी तक होती है सप्लाई
आलू की तैयार फसल को अच्छे दामों पर ऐ्ग्रिस्टो मासा ने खरीद कर अपनी फैक्ट्री में पोटेटो प्रोसेसिंग शुरू कर दी. अब 7500 टन आलू की खरीद कर प्रोसेस कर पोटेटो पाउडर बना कर देश-विदेश को सप्लाई किया जाता है. इस फैक्ट्री में बनने वाले उत्पाद सत्तर प्रतिशत निर्यात चिली, अमेरिका, जापान, जर्मनी एवं कई एशियाई देशो को किया जाता है, तथा 30 प्रतिशत भारतीय बाजार हल्दीराम, बीकानो, लिज्जत को सप्लाई किया जाता है.
गन्ने को छोड़ करने लगे आलू की खेती
धीरे धीरे ढाई हजार किसान आलू गन्ने की परंपरागत खेती छोड़, आलू की खेती की ओर आ गए. वह उन्नत बीज, खाद का प्रयोग कर आलू की बम्पर पैदावार करने लगे. आदमपुर निवासी किसान हरिराज राणा अपने हरिनगर स्थित खेत पर सैंटाना वैरायटी का आलू लगा कर प्रति बीघा 30 कुंतल और प्रति हेक्टेयर साढे तीन सौ से चार सौ कुंतल आलू की पैदावार ले रहे हैं. बिजनौर आवास विकास निवासी किसान तेजपाल सिंह रसेटस, कुफरी चिप्सोना और सैंटाना वैरायटी की खेती करके करीब पंद्रह से बीस लाख रुपये तक की सालाना आमदनी कर रहे हैं. इन प्रजातियो में झुलसा रोग प्रतिरोधक झमता होती है.
इतना होता है आलू का वजन
ऐग्रिस्टो कम्पनी 12 से 14 रूपये प्रति किलो की दर से यानि 1200 से 1400 रुपये प्रति कुंतल की दर से नगद भुगतान कर आलू खरीद करती है. सैंटाना वैरायटी के एक आलू का वजन 500 ग्राम से लेकर 800 ग्राम तक होता है. इसकी लम्बाई की वजह से यह वैरायटी फ्रेंच फ्राइज बनाने के लिए वेस्ट मानी जाती है. ऐग्रिस्टो मासा कंपनी के डायरेक्टर मनप्रीत सिंह चड्डा ने टीवी 9 डिजिटल को बताया कि किसानो का रूझान आलू की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. क्योकिं, उनकी कंपनी आलू उत्पादक किसानो के साथ खडी है और आलू बाय बैक की गारंटी लेती है.