मोदी सरकार का बड़ा फैसला, खत्म होगा साल 2012 का ये टैक्स कानून, IT एक्ट में बदलाव

अब देश में फिर से वोडाफोन और केयर्न जैसे विवाद नहीं हो पाएंगे. दरअसल सरकार विवाविद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है. एनडीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस टैक्स को खत्म करने वाली है. केयर्न इंडिया टैक्स विवाद सरकार के लिए बीते कई सालों से मुसीबत का सबब बना हुआ है. जिस टेक्स को लेकर यह विवाद है सरकार उस टैक्स को ही खत्म करने जा रही है ताकि फिर ऐसा न हो सकें. 2012 के इस विवादित टैक्स को खत्म करने की मंजूरी कैबिनेट से मिल गई है. केंद्र सरकार भुगतान की गई राशि को बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है. भारत वोडाफोन के खिलाफ मुकदमा हार गया था और पिछले साल दिसंबर में एक अपील दायर की थी.

दरअसल इसी विवादित टैक्स कानून के कारण सरकार को दो बड़े झटके लग चुके हैं. पहला झटका साल 2012 में वोडाफोन की तरफ से लगा था. जिसमें सरकार को करीब 8800 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था.  इसके बाद केयर्न इंडिया की तरफ से भी इसी कानून को लेकर सरकार और कंपनी में तनातनी चल रही है.

क्या है केयर्न का विवादित टैक्स मामला

दरअसल इसी रेट्रोस्पैक्टिव टैक्स के चलते इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने दिसंबर 2020 में केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा था कि भारत सरकार उसके 1.2 अरब डॉलर वापस करे. बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट से जीत मिलने के बाद Cairn Energy अपने पैसे के लिए सरकार के पीछे बुरी तरह पड़ चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक केयर्न एनर्जी ने विदेशों में भारत सरकार की करीब 70 अरब डॉलर (5 लाख करोड़ से ज्यादा) से ज्यादा संपत्ति की पहचान की है.

कई देशों में दर्ज कर चुकी है मामला

केयर्न एनर्जी भारत सरकार से अपने पैसे वापस लेने को लेकर दुनिया के कई देशों में मामला दर्ज कर चुकी है. सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अगर केयर्न की तरफ से सीज की कार्रवाई की जाती है तो यह मामला फंस जाएगा. सरकार सीजर की इस कार्रवाई को कोर्ट में चैलेंज करेगी लेकिन तब तक सरकार को केयर्न को बैंक गारंटी देनी पड़ सकती है. अगर कोर्ट को केयर्न के दावे में दम नहीं लगेगा तो वह गारंटी सरकार को वापस कर दी जाएगी. अगर केयर्न जीत जाता है तो जमानत उसे मिल जाएगी.

वोडाफोन केस में मिली थी हार

वोडाफोन टैक्स विवाद साल 2007 में शुरू हुआ था करीब 5 साल की कानूनी लड़ाई के बाद भारत सरकार ये केस हार गई थी. करीब 15000 करोड़ के इस टैक्स विवाद में सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी.  वोडाफोन केस साल 2007 में हांगकांग के हचिसन ग्रुप के मालिक Hutchison Whampoa के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 11 अरब डॉलर निवेश कर 67 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी. इस डील के साथ ही उसने भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में कदम रखा था. इस डील को लेकर भारतीय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वोडाफोन से कैपिटल गेन टैक्स की मांग कर रहा था. इसके कुछ समय बाद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स भी मांगा गया. साल 2007 में हुई इस डील को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार विद होल्डिंग टैक्स की डिमांड कर रहा था. आखिर में थक-हार कर वोडाफोन ने साल 2012 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.

क्या होता है रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स

कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार को इस टैक्स को खत्म करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में संसोधन करना होगा. दरअसल रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का मतलब उस तरह के टैक्स से होता है जो कंपनियों से उनके पुराने हुए डील पर भी वसूला जाता है. इसे ऐसे समझिए कि मान लीजिए कि वोडाफोन पर टैक्स देनदानी साल 2007 से बनती है लेकिन यह टैक्स तबसे वसूला जाएगा जबसे कंपनी टैक्स के दायरे में आई है.

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