राज्यपाल के शपथ ग्रहण कार्यक्रम को छोड़ निकले भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी

पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने बुधवार को नए राज्यपाल आनंद बोस के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार ने उन्हें उन दो विधायकों के बगल में सीट देकर अपमानित किया, जो पिछले साल के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा से सत्ताधारी दल में शामिल हो गए। 

भाजपा नेता अधिकारी ने यह भी दावा किया कि टीएमसी सरकार इसलिए बदले की राजनीति कर रही है, क्योंकि वह नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हार से अभी तक उबर नहीं पाई है। उन्होंने कहा, शपथ ग्रहण समारोह में मुझे और भाजपा को अपमानित करने के लिए मुझे उन दो विधायकों के बगल में एक सीट दी गई थी, जो पिछले साल भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे और बाद में भगवा खेमे के विधायक के रूप में इस्तीफा दिए बिना टीएमसी में चले गए थे। 
अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, यह टीएमसी सरकार प्रतिशोधपूर्ण तरीके से काम कर रही है। यह अभी तक इस तथ्य को नहीं पचा पा रही कि नंदीग्राम में टीएमसी सुप्रीमो मुझसे हार गईं। सरकार ने मर्यादा नहीं रखी और विपक्ष के नेता की कुर्सी का अनादर किया। इसलिए मैंने इस कार्यक्रम को छोड़ दिया। 

विपक्ष के नेता अधिकारी राजयगंज विधायक कृष्णा कल्याणी और बनगांव विधायक विश्वजीत दास की ओर इशारा कर रहे थे। सीवी आनंद बोस ने दिन में पहले बंगाल के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। उन्हें कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने शपथ दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री बनर्जी, अन्य राज्य मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी मौजूद रहे। 

अधिकारी ने बताया कि टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और माला रॉय को कार्यक्रम में अग्रिम पंक्ति की सीटें दी गईं, जबकि भाजपा बालुरघाट सांसद और राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को पिछली पंक्ति की सीट दी गई। उन्होंने कहा, ममता बनर्जी के पास माननीय राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह जैसे अवसर के लिए शिष्टता दिखाने का अवसर था। वह ऐसा करने में विफल रहीं। 

वहीं, अधिकारी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा नेता तुच्छ वजहों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। घोष ने कहा, अधिकारी कोई संत नहीं हैं जो शिष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े दावे कर सकते हैं। वह हर दिन हमारी मुख्यमंत्री के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, उससे हम वाकिफ हैं। शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें विपक्ष के नेता रूप में उचित सम्मान दिया गया था। उन्होंने कार्यक्रम को छोड़कर गलत मिसाल कायम की है। 

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