सरहद की बंदिशें सियासतदानों के लिए हैं, प्यार के लिए नहीं। ये बात सच कर दिखाई सीआरपीएफ के जवान मुनीर अहमद ने। सरहद की तलि्खयां, दुल्हन को वीजा न मिलने की मजबूरियां ये सब मुनीर और पाकिस्तान की मीनल खान के प्यार में बाधा नहीं बन सके। वीजा नहीं मिला तो दोनों ने ऑनलाइन निकाह कर लिया।
नौ महीने के लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार देर रात मीनल अपनी ससुराल पहुंचीं। जम्मू के भलवाल तहसील के राब्ता हंडवाल गांव निवासी नाजिर अहमद ने अपने बेटे मुनीर अहमद की शादी पाकिस्तान के सियालकोट पंजाब में स्थित कोटली फकीर चंद गुंजन निवासी अपने साले असगर खान की बेटी मीनल से तय की थी।
शादी से पहले मुनीर ने मीनल के वीजा के लिए आवेदन भी कर रखा था। लेकिन सरहद पर चल रही तलि्खयों के चलते मीनल को वीजा नहीं मिल सका। आखिरकार पिछले साल 24 मई को मुनीर व मीनल ने ऑनलाइन निकाह कर अपने प्यार को रिश्ते का नाम दे दिया। शादी के बाद मीनल को 15 दिन का वीजा मिला है।
लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार सुबह वह वाघा बाॅर्डर पहुंचीं। मुनीर बॉर्डर पर अपनी दुल्हन का इस्तकबाल करने के लिए पहले से ही पहुंचे थे। देर रात मीनल ससुराल पहुंचीं, जहां मुनीर के परिवारीजन ने उनका जोरदार स्वागत किया। परिवारीजन के मुताबिक मीनल के परिजन 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे।
रिश्तेदारों से जुड़ाव बना रहा। मीनल के माता-पिता कई बार रिश्तेदारों से मिलने जम्मू आए।हालांकि मीनल पहली बार भारत आई हैं। परिवारीजन के मुताबिक रिश्तेदारी कायम रहे, इसलिए पिछले साल मीनल और मुनीर की शादी की बात छेड़ी गई। इसके बाद दोनों में फोन पर बातें शुरू हुईं और दोनों ने रिश्ते के लिए हां कर दी।
24 मई 2024 को वीडियो कॉल पर कबूल है…कबूल है…कबूल है बोलकर दोनों जिंदगी भर के हमसफर बन गए। मुनीर अहमद की कोशिश जारी है कि जल्द ही मीनल को स्थायी वीजा मिल जाए।