अमर ज्योति प्रकरण: भाजपा ने सूर्यकांत को पार्टी से निकाला

बरेली में चर्चित अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड घोटाले में फंसे भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य पर पार्टी ने सख्त कदम उठाया है। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर उनकी सक्रिय सदस्यता भी समाप्त कर दी है। सूर्यकांत मौर्य भाजपा बरेली महानगर इकाई में महामंत्री के पद पर थे। उनके खिलाफ ठगी की शिकायतें सामने आने और बदायूं में एफआईआर दर्ज होने के बाद पार्टी नेतृत्व ने यह निर्णय लिया। शनिवार को भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना ने जानकारी दी कि सूर्यकांत को सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है।

हजारों लोगों से निवेश कराकर 100 करोड़ से अधिक की ठगी
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड पर करीब 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। कंपनी ने 15,000 से अधिक लोगों को मोटे मुनाफे का लालच देकर निवेश कराया और बाद में कार्यालय बंद कर फरार हो गई। इस घटना के बाद आक्रोशित निवेशकों ने बरेली और बदायूं स्थित कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया। बदायूं कोतवाली में कंपनी निदेशक शशिकांत मौर्य, उनके भाई सूर्यकांत, मैनेजर अमित सिंह, एजेंट सुनील बाबू मौर्य समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। अधिवक्ताओं ने भी शुक्रवार को नई रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें नौ लोगों को नामजद किया गया है।

रिश्तेदार भी ठगी के शिकार, करोड़ों की रकम गायब
सूर्यकांत और शशिकांत मौर्य ने अपने रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा। आरोप है कि इन्होंने अपने सगे साढ़ू संतोष मौर्य से ढाई करोड़ रुपये की रकम ले ली और अन्य रिश्तेदारों से भी लाखों रुपये निवेश के नाम पर हड़प लिए। दोनों भाई परिवार सहित फरार हैं। बताया जा रहा है कि इन्होंने पहले से ही नोएडा, गुरुग्राम समेत कई शहरों में दूसरों के नाम पर संपत्तियां खरीद रखी हैं।

एसआईटी कर रही जांच, बड़े निवेशकों से हो रहा संपर्क
बदायूं पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है। कई बड़े निवेशकों ने भी शिकायत दर्ज कराई है। संतोष मौर्य ने बताया कि उन्होंने हाल ही में जमीन बेचकर दो करोड़ रुपये और परिवार के पचास लाख रुपये सूर्यकांत व शशिकांत को सौंपे थे। जब उन्होंने रकम वापस मांगी तो उन्हें डेढ़ करोड़ के चेक दिए गए, जो बाउंस हो गए। संतोष का दावा है कि ससुराल पक्ष के सदस्यों से भी लाखों रुपये लेकर आरोपी फरार हो गए हैं।

दिवालिया घोषित होने से पहले संपत्तियों का बंदोबस्त
सूत्रों के अनुसार, दोनों भाई लंबे समय से ठगी की योजना बना रहे थे और अपनी संपत्ति को व्यवस्थित तरीके से निपटाना शुरू कर चुके थे। उन्होंने संभावित कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए कई शहरों में रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीद ली। बताया जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में भी प्रक्रिया शुरू की है। इधर, बरेली के निवेशक भी असमंजस में हैं और एसआईटी आरोपी एजेंटों और सहयोगियों की तलाश में जुटी है।

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