याचना नहीं, अब रण होगा !

आज सोमवार, 12 मई, 2025 समय ठीक 2.30 बजे। सेना के तीनों अंगों की प्रेस कॉन्फ्रेंस। कथितयुद्ध विराम, ट्रंप के वक्तव्य और भारत के भीतर तथा बाहर तैरते-उतरते प्रश्नचिह्नों के बीच सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता की गर्जना से हुई- ‘याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय, या कि मरण होगा।’ प्रेस कॉन्फ्रेंस ने भारत का, सेना का, मोदी का मन्तव्य आइने की तरह साफ कर दिया।

इसके बाद‌ भी न्यूज नेशन के संवाददाता ने प्रश्न किया। इसपर डीजीएमओ राजीव घई ने कहा- रामचरित मानस की पंक्तियां दोहराता हूँ- ‘विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत, बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।’

यह भारत की आत्मा की प्रतिध्वनि है। देश के गद्दारों और उनके चाटुकारों को सुनाई नहीं देगी। उन्हें गुबरैलों और विष्टा के कीड़ों की तरह जीना-मरना है। भारत माता की जय !

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here