इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के करीबी ख्वाजा आसिफ ने देश में सेना और नागरिक सरकार के साझा सत्ता ढांचे को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान एक ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत संचालित हो रहा है, जिसमें सेना की भूमिका प्रमुख है। उनके अनुसार यह मॉडल न सिर्फ आवश्यक है बल्कि मौजूदा हालात में यह शासन व्यवस्था प्रभावी भी साबित हो रही है।
क्या है पाकिस्तान का ‘हाइब्रिड मॉडल’?
‘हाइब्रिड मॉडल’ ऐसी राजनीतिक व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें लोकतांत्रिक ढांचे के साथ-साथ सैन्य प्रभाव भी निर्णय प्रक्रिया में शामिल रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संतुलन नहीं बल्कि एक तयशुदा व्यवस्था है, जिसमें सेना की पकड़ मजबूत होती है और निर्वाचित नेताओं की भूमिका सीमित रह जाती है।
रक्षा मंत्री की स्पष्ट स्वीकारोक्ति
आसिफ ने कहा, “यह पूर्ण लोकतंत्र नहीं है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक संकट को देखते हुए यह मॉडल फिलहाल व्यावहारिक है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि 1990 के दशक में ही इस प्रकार की व्यवस्था को स्वीकार कर लिया गया होता, तो सेना और राजनीति के बीच टकराव की स्थिति पैदा नहीं होती और लोकतंत्र की प्रगति अवरुद्ध न होती।
सेना के साथ तालमेल ही एकमात्र विकल्प
आसिफ ने यह भी स्पष्ट किया कि नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के पास सेना के साथ तालमेल के अलावा कोई और व्यावहारिक रास्ता नहीं बचा है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने अमेरिका का दौरा कर राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसे आसिफ ने पाक-अमेरिका संबंधों का ऐतिहासिक क्षण बताया।
विपक्ष का आरोप: सत्ता में ‘सेना की पसंद’
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने फरवरी 2024 के आम चुनावों में भारी धांधली का आरोप लगाते हुए इसे सेना की मिलीभगत बताया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनाव में गड़बड़ी की गई और पीएमएल-एन व पीपीपी को सेना का समर्थन प्राप्त है।
‘वोट को इज्जत दो’ अब इतिहास?
एक समय पीएमएल-एन का लोकप्रिय नारा था “वोट को इज्जत दो”, लेकिन अब जब वही पार्टी सेना के साथ सत्ता साझा कर रही है, तो कई विश्लेषक इस नारे को बीते दिनों की बात मान रहे हैं। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रसूल बख्श रईस के अनुसार, “अब यह साफ है कि देश की वास्तविक सत्ता किसके हाथ में है।”
पहले भी रहा है ‘हाइब्रिड शासन’
डॉ. रईस ने बताया कि इमरान खान की सत्ता से विदाई के बाद यह तीसरा अवसर है जब पाकिस्तान में इस तरह की शासन व्यवस्था चल रही है। पूर्व सैन्य शासक जैसे जनरल जियाउल हक और परवेज मुशर्रफ भी इसी रणनीति के तहत नई पार्टियों के जरिए सत्ता में आए थे, लेकिन अब खुद मुख्यधारा की पार्टियों ने सेना के साथ मिलकर सरकार बनाई है।
पत्रकारों की तीखी प्रतिक्रिया
वरिष्ठ पत्रकार मत्युल्लाह जान ने रक्षा मंत्री की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “यह विडंबना है कि एक रक्षा मंत्री, जो संविधान की रक्षा की शपथ लेता है, वही एक असंवैधानिक व्यवस्था को जायज ठहराता है। यह मॉडल वास्तव में सैन्य वर्चस्व की ही पहचान है, जिसमें नागरिक नेतृत्व केवल दिखावे तक सीमित है।”