खौफ से पाकिस्तानी संसद सुनसान पड़ी है। फजलुर्रहमान वॉकआउट कर भाग चुका है लेकिन आतंकवाद को जड़ मूल से नष्ट करने के भारत के दृढ़ फैसले पर इंडी गठबंधन वाले क्यों हलकान हैं? यूपी कांग्रेस के प्रधान जी है खिलौना हवाई जहाज पर नींबू-मिर्ची लटका कर राफेल का मदारियों की तरह मज़ाक उड़ाते हैं। इनके बयान को पाकिस्तानी मीडिया हाथों हाथ लपकती है।
सात मई की मॉक ड्रिल की खिल्ली उड़ाते हुए संजय राउत कहता है कि ऐसी ड्रिल से कुछ होने वाला नहीं। 54 साल पहले भी ऐसी ड्रिल देख चुके हैं। जयराम रमेश कहते हैं- मॉक ड्रिल पर संसद का विशेष सत्र बुलाओ यानी ये पूरी दुनिया को पार्लियामेंट टी-वी के जरिये दिखा सकें कि विपक्ष संकट की घड़ी में सरकार की कैसे टांग खिचाई करता है और देश की सुरक्षा संबंधी गोपनीय तैयारियों को कैसे उजागर करता है। और खड़गे? भोंपू वहीं बोलेगा जो मालिक कहेगा- हिज मास्टर्स वॉयस।
जिस जम्मू-कश्मीर में दशकों से हिन्दुओं पर बर्बर अत्याचार होते आए हैं, जहां दहशतगर्दों एवं पाकिस्तानी गुर्गों को पनाह देकर, छिपाने व भागने का रास्ता बता कर पाला पोसा जाता रहा है, जहां सैकड़ों आतंकी हमले हो चुके हों, वहां के मुख्यमंत्री का बाप कहता है- आतंकियों के ठिकाने नष्ट करना बुरी बात है और मोहतरमा उपराज्यपाल को चिट्ठी लिख कर कहती हैं- 22 अप्रैल के हमले के सिलसिले में पकड़े गए लोगों को रिहा करिये, यें बेगुनाह हैं।
भारत में रहकर पाकिस्तानी एजेंडा चलाने वाले उसके स्टार प्रचारकों को जनता पहचान चुकी हैं। अपनी काली करतूतों से चेहरों पर लगे मुखौटे खुद ही उतार दिये हैं। जनमानस ने पहचान लिया, सरकार कब पहचानेगी?
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’