यूपी: जंगल से बाहर पुनर्वासित पुरुषों को मिलेगी 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता

लखनऊ। जंगल से बाहर पुनर्वासित किए जाने वाले प्रत्येक वयस्क पुरुष को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, उनकी अचल संपत्ति के मूल्य का पूरा मुआवजा भी सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। इस योजना के पहले चरण में दुधवा टाइगर रिजर्व के कतर्नियाघाट वन क्षेत्र के 118 परिवारों को चुना गया है, जिन्होंने जंगल से बाहर बसने के लिए अपनी सहमति दे दी है।

प्रदेश में वर्ष 2024-25 के दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष में 60 लोगों की मौत हुई जबकि 220 लोग घायल हुए। ये घटनाएं कतर्नियाघाट, साउथ खीरी, बहराइच, नॉर्थ खीरी और बिजनौर क्षेत्रों में हुईं। इसके पहले वर्ष में यह संख्या क्रमशः 84 और 174 थी। खास बात यह है कि वर्ष 2023 में बिजनौर में फरवरी से अगस्त के बीच तेंदुओं के हमलों में 13 लोगों की जान गई थी। इन हमलों को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि जिन जंगलों में बाघों की संख्या अधिक है, वहां रहने वाले लोगों को जंगल से बाहर बसाया जाएगा। इस योजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी भी मिल चुकी है।

विस्थापित परिवारों को मुआवजा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनसीटीए) की गाइडलाइंस के अनुसार दिया जाएगा। इन नियमों के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक पुरुष को अलग पात्र इकाई माना जाएगा, जिसमें उनकी पत्नी, नाबालिग बच्चे और अविवाहित पुत्रियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, हर शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति, किसी भी उम्र या लिंग का हो, उसे भी एक अलग परिवार माना जाएगा। नाबालिग अनाथ, जिनके दोनों माता-पिता नहीं रहे, उन्हें भी अलग परिवार के रूप में स्वीकार किया जाएगा। योजना में हर पात्र को 10 लाख रुपये के अलावा उनकी कृषि भूमि, आवास, कुआं, हैंडपंप और पेड़ों का मूल्यांकन कर उसका भी मुआवजा दिया जाएगा।

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