7, मई। लाशों पर राजनीति करने वालों ने नौसेना के अधिकारी विनय नरवाल की विधवा हिमांशी की शोक-संवेदना को भी ओछी राजनीति की धार पर चढ़ा दिया। युद्ध में संलग्न भारत की चिन्ताओं-कठिनाइयों को नज़रअन्दाज़ कर असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद में बैठे-बैठे भावनाओं को भड़काने वाले तीर चलाने लगे और राहुल गांधी संवेदना जताने के नाम पर करनाल जा पहुंचे जहां एक बार फिर कहा कि आतंकियों का धर्म नहीं होता।
विनय नरवाल की विधवा हिमांशी के शब्दों को कथित सेक्युलरवादियों, वामपंथियों तथा एजेंडावादियों ने मनमर्जी से तोड़ मरोड़ कर पेश किया। एजेंडावादी पत्रकार भी आगे रहे। इन नकली धर्मनिरपेक्षों की कलाबाजियों को देख, शहीद विनय की विधवा हिमांशी व नरवाल के पिता, माता व हिमांशी के पिता को कैमरे के सामने आकर कहना पड़ा कि धर्म पूछ कर हत्या करने वालों को दंड देने के लिए हमारी सेना एवं नरेन्द्र मोदी जो कुछ कर रहे हैं, हम उनका समर्थन करते हैं और पूरी तरह उनके साथ है। अलबत्ता ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रसन्नता जताते हुए इन्होंने यह जरूर कहा कि आतंकियों के पूर्ण खात्मे तक यह अभियान जरूर चलते रहना चाहिये। हिमांशी ऑपरेशन सिंदूर नाम से संतुष्ट हैं।
जयचंदों और मीर ज़ाफ़रों की औलादें कुछ शर्म करेंगी या नहीं या अपने बाप-दादाओं की कुटिल करतूतों को जारी रखेंगी?
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’