आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल पंजाब के कठपुतली मुख्यमंत्री भगवन्त मान को लेकर राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ में मुफ्त की चुनावी रेवड़ियां बांटने का ऐलान करते घूर रहे हैं लेकिन पंजाब में दिनों दिन बिगड़ती जा रही स्थिति पर उन्होंने दुष्टतापूर्ण चुप्पी साधी हुई है। जब से पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की सरकार बनी है तब से पाकिस्तान से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी में जबरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। पंजाब में खालिस्तान समर्थकों की समाज व देश विरोधी गतिविधियां एकदम बढ़ गईं।
खालिस्तान समर्थकों की भड़काऊ कारगुजारियों से पंजाब में आपसी सौहार्द्र बिगड़ने लगा है। जरनैल सिंह भिंडरावाला के अनुयायी अमृतपाल ने कैसे अजनाला के पुलिस थाने को बंधक बना कर हजारों हथियारबंद लोगों की भीड़ के सहारे 8 पुलिसवालों के सिर फोड़े और बन्दुक की नोक पर अपने समर्थक को जेल से छुड़ाया, यह अराजकता का दृश्य टी.वी. के जरिये पूरी दुनिया ने देखा। ठोस कार्यवाही करने के बजाय केजरीवाल भगवंत मान को लेकर उद्धव ठाकरे से मिलने मुम्बई चले गये।
फरवरी मार्च मास के अंतिम सप्ताह में पंजाब के तरनतारन जेल में सिद्दू मूसेवाला की हत्या के आरोपी लारेंस विश्नोई और गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया के बदमाशों के बीच खूनी संघर्ष में मनदीप सिंह तूफान और मनमोहन सिंह मोहना जेल में मारे गए। एक सप्ताह बाद जब जेल के भीतर हुए खूनी संघर्ष का वीडियो वायरल हुआ तब लोगों को पता चला कि केजरीवाल के राज में पंजाब किस स्थिति में पहुंच चुका है। इस संगीन वारदात के बाद भी केजरीवाल चुप हैं।
पंजाब की बदहाल स्थिति का एक और सबूत १५ मार्च को सामने आया। एक टी.वी. चैनल ने बठिंडा सेंट्रल जेल में बन्द लारेंस विश्नोई का साक्षात्कार प्रसारित कर दिया। अपनी चमड़ी बचाने के लिए जेल अधीक्षक एन.डी. नेगी ने कहा है कि इंटरव्यू जेल से बाहर का है लेकिन जयपुर के पुलिस कमिश्नर आनन्द श्रीवास्तव ने इसका खंडन किया है। पूर्व की भांति केजरीवाल और मान इस पर भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से उपजे केजरीवाल आखिर पंजाब को कहां ले जा कर छोड़ेंगे? क्या वे वास्तव में खुद को मीठा आतंकवादी ही सिद्ध करके मानेंगे?
गोविन्द वर्मा