भारत में लंबे समय से विदेशी शराब, खासकर स्कॉच व्हिस्की को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने की मांग उठ रही है, लेकिन फिलहाल यह मुमकिन नहीं दिख रहा। इसकी वजह भारत और ब्रिटेन के बीच चल रही ‘मुक्त व्यापार समझौता’ (Free Trade Agreement – FTA) की बातचीत में जारी गतिरोध है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एफटीए के साथ-साथ द्विपक्षीय निवेश समझौता (BIT) और सामाजिक सुरक्षा समझौता (Double Contribution Convention Agreement) को लेकर भी चर्चा चल रही है। हालांकि, चार से पांच प्रमुख मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं, जिनकी वजह से करार पर अंतिम सहमति नहीं बन पा रही है।
क्या हैं मुख्य अड़चनें?
पिछले हफ्ते लंदन में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के बीच हुई बैठक में समझौतों की स्थिति की समीक्षा की गई। लेकिन अंतिम दौर की बातचीत में बीआईटी के सनसेट क्लॉज, ब्रिटेन का नया कार्बन टैक्स और डेटा लोकलाइजेशन जैसे विषयों पर मतभेद सामने आए। यही वजह रही कि 29 अप्रैल को प्रस्तावित समझौते की घोषणा टाल दी गई।
सस्ती शराब की उम्मीद को झटका
इस एफटीए के जरिए ब्रिटेन भारत में अपने उत्पादों को बेहतर पहुंच देना चाहता है, जिसमें स्कॉच व्हिस्की भी शामिल है। ब्रिटेन की स्कॉच को GI टैग प्राप्त है और वह भारतीय बाजार में इसे सस्ते दरों पर उपलब्ध कराकर अपने निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है। वहीं भारत की मांग है कि उसे ब्रिटेन में अपने उत्पादों के निर्यात में सहूलियत मिले।
लेकिन जब तक सभी लंबित मुद्दों पर सहमति नहीं बनती, तब तक भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती ‘अंग्रेजी शराब’ के लिए इंतजार करना होगा।