अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान के लिए 1.3 अरब डॉलर के राहत पैकेज को मंजूरी देते हुए इसकी पहली किस्त के रूप में 1 अरब डॉलर जारी कर दिया है। इस निर्णय के दौरान भारत ने वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया और इस सहायता को लेकर अपनी असहमति जताई।
भारत ने आईएमएफ के समक्ष पाकिस्तान के पूर्ववर्ती ऋणों के दुरुपयोग और उसकी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को निभाने में विफलता को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को बार-बार ऋण देना न केवल जोखिमपूर्ण है, बल्कि इससे वैश्विक आर्थिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
आईएमएफ के रिकॉर्ड के अनुसार, पाकिस्तान 1989 से अब तक 35 वर्षों में 28 वर्षों तक किसी न किसी रूप में कर्ज लेता रहा है। पिछले पांच वर्षों में ही आईएमएफ ने उसे चार बार आर्थिक मदद दी है। भारत का कहना है कि अगर पहले मिले कर्ज का सही उपयोग हुआ होता, तो पाकिस्तान को फिर से बेलआउट की ज़रूरत नहीं पड़ती।
इसके अतिरिक्त, भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता है और ऐसे देश को बार-बार आर्थिक मदद देना अंतरराष्ट्रीय मूल्यों के खिलाफ है। भारत ने इसी कारण बेलआउट पैकेज पर मतदान से दूरी बनाए रखी।