रुपये में गिरावट, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से कमजोर हुआ भारतीय रुपया

आज मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ पैसे गिरकर 84.38 पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण रुपया कमजोर हुआ है।

रुपये की मजबूती से न केवल आर्थिक स्तर पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि आम नागरिकों की जेब पर भी इसका असर होता है।

रुपये की मजबूती के फायदे

विदेश यात्रा सस्ती होती है
जब रुपया मजबूत होता है, तो डॉलर सस्ता हो जाता है, जिससे विदेश यात्रा की लागत घट जाती है। उदाहरण के लिए, अगर पहले 1 डॉलर = ₹83 था और अब ₹80 हो गया है, तो विदेश में होटल, टिकट और खाना-पीना सस्ता हो जाता है।

विदेशी शिक्षा पर असर
जो छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीस और रहन-सहन की लागत में राहत मिलती है, क्योंकि उन्हें रुपये से डॉलर में भुगतान करना होता है।

विदेशी वस्तुएं सस्ती होती हैं
जब रुपया मजबूत होता है, तो ऑनलाइन शॉपिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स, गैजेट्स, ब्रांडेड कपड़े और अन्य सामान सस्ते हो जाते हैं।

महंगाई पर नियंत्रण
भारत अधिकांश कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां और अन्य वस्तुएं आयात करता है। जब रुपया मजबूत होता है, तो इनकी कीमतें कम हो जाती हैं, जिससे महंगाई नियंत्रित होती है।

रुपये की मजबूती के कारण

अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट
जब अमेरिकी डॉलर अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले कमजोर होता है, तो उभरते बाजारों की मुद्राएं, जैसे रुपया, मजबूत होती हैं। निवेशक डॉलर से अन्य विकल्पों की ओर रुख करते हैं।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
भारत एक बड़ा तेल आयातक है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें गिरती हैं, तो भारत का आयात बिल कम हो जाता है, जिससे रुपये पर दबाव कम होता है।

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
अगर भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होता है, तो रिजर्व बैंक और सरकार रुपये को स्थिर रखने के लिए डॉलर बेच सकते हैं।

थोक महंगाई दर में गिरावट
अगर थोक महंगाई दर घटती है, तो निवेशकों को रुपये में सुरक्षा का एहसास होता है, जिससे विदेशी निवेश बढ़ सकता है।

रुपये की मजबूती के नुकसान

निर्यातकों को नुकसान
जब रुपया मजबूत होता है, तो निर्यातकों को विदेशों में माल बेचने पर कम फायदा होता है, क्योंकि एक डॉलर की कीमत घट जाती है।

विदेशी निवेश में कमी
अगर निवेशक महसूस करते हैं कि रुपये की अधिक मजबूती से मुनाफा कम होगा, तो वे निवेश करने में सतर्क हो सकते हैं।

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