भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते टकराव का असर अब केवल सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव एशियाई खाद्य बाजार पर भी पड़ने लगा है। चावल, प्याज और अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में रुकावट की आशंका है। भारत द्वारा किए गए हमले से एक मुस्लिम देश विशेष रूप से चिंतित है, क्योंकि उसे डर है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव से वहां खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।
भारत और पाकिस्तान: प्रमुख चावल निर्यातक
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जबकि पाकिस्तान इस सूची में चौथे स्थान पर है। दोनों देशों से दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों को चावल, प्याज और अन्य खाद्य पदार्थों की आपूर्ति होती है। यदि दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ता है, तो इन वस्तुओं की उपलब्धता और कीमतों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
मलेशिया की चिंता
भारत के हवाई हमले और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया के बाद मलेशिया सबसे ज्यादा चिंतित है। मलेशिया के फूड सिक्योरिटी मंत्री मोहम्मद साबू ने कहा कि यदि तनाव बंदरगाहों या वितरण नेटवर्क को प्रभावित करता है, तो उनके देश में चावल की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
भारत पर निर्भरत
मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश चावल के लिए भारत और पाकिस्तान पर निर्भर हैं। मलेशिया अपनी कुल चावल खपत का केवल 50% ही स्थानीय स्तर पर उत्पादित करता है। शेष 50% की पूर्ति भारत, पाकिस्तान, वियतनाम और थाईलैंड से होती है। अकेले भारत और पाकिस्तान से 40% चावल का आयात होता है।
बढ़ सकती हैं कीमते
मलेशिया के पास छह महीने का चावल का स्टॉक तो है, लेकिन मुख्य चिंता कीमतों को लेकर है। भारत का सस्ता चावल वैश्विक बाजार में अहम भूमिका निभाता है। यदि तनाव जारी रहा, तो चावल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
मौजूदा संकट हो सकता है और गंभीर
मलेशिया पहले से ही घरेलू चावल संकट का सामना कर रहा है। यदि भारत-पाक तनाव और बढ़ता है, तो इस संकट का प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है।
यूक्रेन युद्ध से सबक
युद्ध का प्रभाव सिर्फ अनाज तक सीमित नहीं रहता। यूक्रेन युद्ध के दौरान मलेशिया में चिकन की कीमतें बढ़ गई थीं क्योंकि फीड (मक्का) महंगा हो गया था। इसी तरह, सिंगापुर को दूरस्थ देशों जैसे ब्राजील से चिकन आयात करना पड़ा। इससे स्पष्ट है कि भारत-पाक तनाव का प्रभाव खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर व्यापक रूप से पड़ सकता है।