वोडाफोन आइडिया की हालत नाजुक, सरकार नए राहत पैकेज पर कर रही विचार

देश की प्रमुख दूरसंचार कंपनियों में शामिल वोडाफोन आइडिया (Vi) लगातार आर्थिक संकट से जूझ रही है। कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। सरकार और कंपनी दोनों स्तरों पर इसे उबारने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई है। ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार वोडाफोन आइडिया के लिए एक नया राहत पैकेज तैयार कर रही है, मगर जब तक कंपनी पर बकाया स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) को माफ नहीं किया जाता, तब तक इसके टिके रहने की संभावना बेहद सीमित नजर आ रही है।

क्या है सरकार की रणनीति?

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार यह प्रस्तावित कर सकती है कि कंपनी को अपने समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया का भुगतान छह साल के बजाय 20 वर्षों में करने की अनुमति दी जाए। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, मौजूदा छह साल की योजना के अंतर्गत 18,064 करोड़ रुपये का भुगतान सालाना किस्तों में करना Vi के लिए कठिन साबित हो सकता है। विभाग के मॉडलिंग से संकेत मिलता है कि यदि यह राशि मौजूदा योजना के अनुसार चुकाई गई, तो वित्त वर्ष 2027 तक कंपनी के पास कैश खत्म हो सकता है।

अगर भुगतान अवधि को 20 वर्षों तक बढ़ाकर प्रत्येक साल की किस्त को घटाकर 6,000 से 8,500 करोड़ रुपये किया जाता है, तो भी अधिकारियों को चिंता है कि 2029 के बाद कंपनी की वित्तीय स्थिति और बिगड़ सकती है। संकट की स्थिति में यह भुगतान अवधि 50 से 100 वर्षों तक भी खींची जा सकती है।

कैश और इक्विटी की स्थिति

मार्च 2025 तक कंपनी के पास कुल 9,930 करोड़ रुपये का कैश और बैंक बैलेंस था। इससे पहले मार्च में सरकार ने कंपनी की मांग पर 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया को इक्विटी में बदल दिया था, जिससे सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो गई है। यह बकाया 2021 से पूर्व की स्पेक्ट्रम नीलामी से जुड़ा था।

विशेषज्ञों की राय

रिपोर्ट में एक अधिकारी ने यह भी बताया कि कंपनी टेलीकॉम विभाग के साथ हुई बैठकों में स्पष्ट कर चुकी है कि वह मौजूदा स्पेक्ट्रम और AGR भुगतान कार्यक्रम को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। इक्विटी परिवर्तन से पहले, वित्त वर्ष 2026 के लिए कंपनी की देनदारी 30,500 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई थी।

एक मार्केट विश्लेषक के अनुसार, वोडाफोन आइडिया मौजूदा वित्त वर्ष में अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर सकती है, लेकिन वित्त वर्ष 2027 से यह तभी संभव होगा जब वह बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कम से कम 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज जुटाने में सफल होती है।

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यदि AGR बकाया में राहत नहीं दी गई और कंपनी कर्ज जुटाने में असफल रही, तो उसे हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये की नकदी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

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