सिबिल स्कोर क्यों है जरूरी? जानिए इसका महत्व और सुधार के तरीके

वित्तीय लेन-देन से जुड़े मामलों में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) की अहम भूमिका होती है। यह स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री यानी उसके उधार लेने और चुकाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। बैंक या वित्तीय संस्थान जब किसी को लोन देने पर विचार करते हैं, तो सबसे पहले वे उसका सिबिल स्कोर चेक करते हैं। अच्छा स्कोर लोन स्वीकृति की प्रक्रिया को आसान बना देता है, जबकि खराब स्कोर के कारण ऋण मंजूरी में रुकावट आ सकती है।

अच्छा स्कोर किसे माना जाता है?

सिबिल स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच होता है। यदि किसी व्यक्ति का स्कोर 700 या उससे अधिक है, तो उसे बेहतर माना जाता है। स्कोर अगर 600 के आसपास है, तो उसे औसत श्रेणी में रखा जाता है, जबकि 300 से 500 के बीच का स्कोर कमजोर स्थिति दर्शाता है, जिससे लोन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

सुधार में लगता है समय

अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर गिर गया है और वह इसे सुधारना चाहता है, तो इसके लिए धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया सप्ताह या महीनों में पूरी नहीं होती, बल्कि इसमें 6 महीने से लेकर एक वर्ष तक का समय लग सकता है।

सिबिल स्कोर सुधारने के उपाय

  • अपने सभी बिल, क्रेडिट कार्ड भुगतान और ईएमआई समय पर चुकाएं।
  • क्रेडिट कार्ड का संतुलित उपयोग करें और तय समय में उसका भुगतान करें।
  • अपनी क्रेडिट लिमिट से अधिक खर्च करने से बचें।
  • एक साथ कई ऋण लेने की बजाय आवश्यकता अनुसार ही ऋण लें।
  • बार-बार लोन के लिए आवेदन करने से बचें, क्योंकि इससे स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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