क्या एक मूर्ख 135 करोड़ लोगों को बेवकूफ बना सकता है?

वह कौन है जो देश के 135 करोड़ लोगों को मूर्ख समझता है या उसे मुगालता है कि देश में मूर्ख ही मूर्ख बसते हैं जिन्हें वह आसानी से उल्टी पट्टी पढ़ा सकता है। इस शख्स का नाम लेने की जरूरत इस लिए नहीं कि देश का बच्चा-बच्चा इस मुर्खाधिराज से परिचित हैं।

अभी इन्हें जम्मू जाकर इल्हाम हुआ कि लक्ष्मी, दुर्गा व सरस्वती की दैवीय शक्तियों को नरेंद्र मोदी ने कम कर दिया है। अब बुधवार को महिला कांग्रेस के सम्मेलन में दुर्गा व लक्ष्मी की शक्तियों के कम होने वाले बयान को फिर दोहराया। फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत पर प्रहार करते हुए कहा कि वे कैसे हिंदू हैं जो महात्मा गांधी के समान हर समय औरतों को साथ लेकर नहीं चलते? फिर पूछा आपने महात्मा गांधी की तस्वीर तो देखी होगी जिसमें वे महिलाओं के साथ दिखाई दे रहे हैं?

मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्र महात्मा मानता हैं। किंतु उनके जीवन का विवादास्पद अध्याय भी था जिसमें वे ब्रह्मचर्य व्रत का परीक्षण करने के लिए युवतियों के साथ नग्न होकर सोते थे। गांधी जी इसे सत्य का प्रयोग कहते थे किन्तु सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस प्रयोग को अनुचित बता कर विरोध किया था।

मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा व राष्ट्रपिता की पदवी मिल चुकी थी अतः इस प्रकरण को उनके जीवनवृत्त से निकालना ही उचित समझा गया। स्वतंत्रता से पूर्व जिन बच्चों का जन्म हुआ और जो अब वृद्धावस्था तक पहुंच चुके हैं वे इन तमाम बातों को जानते हैं किंतु महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धाभाव के कारण इसका भूल कर भी जिक्र नहीं करते। करना भी नहीं चाहिये क्यूंकि गांधी जी विषय-भोगी इंसान नहीं थे। उनका प्रयोग ढोंग या आडम्बर नहीं था। करोड़ों में कोई एक आत्मसंयमी ही ऐसा कर सकता था।

आर.एस.एस की निंदा के लिए मोहन भागवत पर कीचड़ उछालने के चक्कर में इस महामूर्ख ने अपनी उलजलूल बातों से महात्मा गांधी की छीछालेदर करा दी। महात्मा जी ने इनके परिवार को अपना सरनेम क्या इसी प्रयोजन से दिया था?

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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