केंद्र सरकार ने रूस की कोविड-19 वैक्सीन Sputnik V को दी मंजूरी, भारत को मिलेगा तीसरा टीका

कोरोनावायरस के खात्मे के लिए दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. इस बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को रूस की कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक वी के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी दे दी है. भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सिन के बाद यह तीसरी वैक्सीन है. स्पुतनिक वी वैक्सीन एस्ट्राजेनेका की तरह ही दो डोज वाली है और इसे गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रबायोलॉजी ने विकसित किया है. इसे-18 डिग्री सेल्सियत तापमान पर रखना होता है. वैक्सीन के फ्रीज वर्जन को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है.

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने पिछले सप्ताह भारत में वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमला के लिए सरकार की मंजूरी मांगी थी. रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने डॉ. रेड्डी के साथ सितंबर 2020 में भारत में स्पुतनिक वी के क्लीकल ट्रायल किया था. स्पुतनिक-वी की वेबसाइट के अनुसार, रूसी वैक्सीन की 91.6% की प्रभावकारिता है और यूएई, भारत, वेनेजुएला और बेलारूस में इसका तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है.

रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने वैक्सीन के बनाने के लिए हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, हेटेरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा और विक्रो बायोटेक जैसे भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के साथ करार किया है. बताया जा रहा है कि देश में स्पुतनिक वी वैक्सीन के 850 मिलियन खुराक बनाई जाएंगी.

RDIF और पैनेसिया बॉयोटेक वैक्सीन के उत्पादन के लिए हुए थे सहमत

RDIF और दवा कंपनी पैनेसिया बॉयोटेक ने अभी हाल ही में कहा था कि वे स्पुतनिक वी कोविड-19 टीके की भारत में सालाना 10 करोड़ खुराक का उत्पादन करने पर सहमत हुए हैं. पैनेसिया बॉयोटेक के विनिर्माण संयंत्रों में स्पुतनिक वी के उत्पादन से इस टीके की आपूर्ति RDIF के अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को करने में मदद मिलेगी. पैनेसिया बॉयोटेक के प्रबंध निदेशक राजेश जैन ने कहा था कि कंपनी स्पुतनिक वी का उत्पाद अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त संयंत्रों में करेगी. स्पुतनिक वी की कीमत प्रति खुराक 10 डॉलर से कम है.

भारत में 16 जनवरी से शुरू हुआ था वैक्सीनेशन अभियान

भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूरे देश में कोविड 19 टीकाकरण अभियान शुरू किया था. टीकाकरण कार्यक्रम के शुरुआती चरणों में पहले स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई, जिनके बाद 60 साल से ऊपर और 45 से अधिक गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को वैक्सीन लगाने की अनुमति दी गई. इस समय 45 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. वहीं, तीन जनवरी को भारत बायोटेक कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई थी.

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