छत्तीसगढ़:BSF कैंप बनाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन,50 पंचायत प्रतिनिधियों ने दिया इस्तीफा

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कांकेर (Kanker) जिले के गांवों में सीमा सुरक्षा बल (BSF) कैंप बनाए जाने का पिछले कई दिनों से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. रविवार को कांकेर के पंचायत निकायों के 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने स्थानीय लोगों के ‘पवित्र स्थान’ पर BSF कैंप बनाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि जिले के काटगांव और कामटेदा गांव में कैंप का निर्माण किया गया है जो रायपुर से करीब 127 किलोमीटर दूर हैं. अधिकारी ने कहा कि ये कैंप रणनीतिक रूप से महत्वूर्ण परतापुर-कोयलीबेडा रूट पर बने हैं, जो वहां जारी सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा देने के लिए है.

पीटीआई के मुताबिक, सिकसोद गांव के सरपंच लच्छूराम गावडे ने बताया कि कांकेर के पाखनजोर में 23 दिसंबर से ही हजारों लोग बीएसएफ कैंपों को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “शनिवार को पाखनजोर एसडीएम को दो पत्रों के जरिये कम से कम 46 सरपंच, 7 जनपद पंचायत सदस्य, एक उप-सरपंच और एक जिला पंचायत सदस्य ने अपना इस्तीफा सौंप दिया.”

उन्होंने कहा, “हम BSF के कैंपों के खिलाफ नहीं हैं. हम जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हैं, जहां हम कई वर्षों से धार्मिक क्रियाकलाप करते आ रहे हैं. उन्होंने यहां एक पेड़ भी काट दिया है, जिसकी हमलोग पूजा करते थे. यह हमारे देवी-देवताओं का अपमान है.”

उन्होंने कहा कि कैंपों का का निर्माण मेढ़की नदी के किनारे कारकाघाट (काटगांव के नजदीक) और तुमीरघाट (कामटेदा) में किया गया है, जहां हर साल 35 गांवों के लोग आकर अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं.

इलाके के पंचायत सदस्य सोहन हिचामी ने कहा, “यह इलाका संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आता है और किसी काम के लिए स्थानीय ग्रामसभा की मंजूरी जरूरी होती है. कैंप के जगहों को तय करने से पहले प्रशासन को हमलोगों से बातचीत करनी चाहिए थी.”

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (IG) सुंदरराज पी ने कहा कि बस्तर में हाल में बनाए गए 16 कैंपों में ये दोनों कैंप भी शामिल हैं. इन कैंपों के कारण नक्सलियों को दिक्कत हो रही है इसलिए वे सुरक्षा बलों की मौजूदगी का विरोध करने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब इन कैंप के लिए जगहों को चुना जा रहा था तो सभी स्थानीय मुद्दों का पूरा सम्मान किया गया था.

कांकेर के जिलाधिकारी चंदन कुमार ने कहा कि जल्द ही इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर देखने पर मालूम होता है कि नक्सलियों के दबाव के कारण ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं.

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