राष्ट्रभक्ति और अध्यात्म का संगम, महाकुंभ में संतों ने फहराया तिरंगा

पूरा देश आज 76वें गणतंत्र दिवस के रंग में डूबा है. इधर त्रिवेणी के तट पर हो रहे आस्था और अध्यात्म के महा समागम प्रयागराज महाकुंभ में भी राष्ट्रभक्ति और अध्यात्म का अद्भुत मेल देखने को मिला है. महाकुंभ क्षेत्र में साधु-संतों और संस्थाओं के शिविरों में जगह-जगह राष्ट्र ध्वज फहराया गया, राष्ट्रगान गाया गया और देश की एकता और अखंडता के लिए सामूहिक शपथ ली गई है.

महाकुंभ में धर्म और अध्यात्म में लीन रहने वाले साधु-संतों ने भी गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया. महाकुंभ का कोना-कोना भगवा रंग के झंडों के साथ-साथ तिरंगे के रंग से सराबोर हो गया. सबसे पहले महाकुंभ के दंडी स्वामी संतो के दंडी स्वामी नगर में अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष स्वामी महेशाश्रम के शिविर में हजारों की संख्या में संतों ने एक साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण किया और राष्ट्रगान गाया.

साधु-संतों ने ली शपथ

इस अवसर पर अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्रीमद जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम ने सभी दंडी स्वामियों को देश की एकता और अखंडता के लिए शपथ दिलाई. स्वामी महेशाश्रम का कहना है कि देश के हर गांव में एक-एक दंडी स्वामी को भेजा जाएगा. ताकि जाति के नाम पर हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिश को रोका जा सके. राष्ट्र तभी मजबूत हो सकता है जब हिंदू सनातन धर्म मजबूत हो, सनातन धर्म की सभी जातियां एक हों.

महंत रविंद्र पुरी ने फहराया झंडा

प्रयागराज महाकुंभ के गंगा और यमुना के जिन घाटो में सुबह से ही हर-हर गंगे और हर -हर महादेव के मंत्रोच्चार की ध्वनियां गूजती है. वह सभी घाट और शिविर 76 वें गणतंत्र की सुबह जन गण मन की ध्वनियों से गूंज उठे. महाकुंभ के आकर्षण सेक्टर 20 में भी गणतंत्र दिवस पर भगवा पर तिरंगे का अनोखा मेल देखने को मिला. पंच दशनाम श्री निरंजनी अखाड़े के शिविर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया.

महाकुंभ में सुनाई दिए देश भक्ति गीत

सभी साधु-संतों ने श्रद्धालुओं के साथ जन गण मन भी तिरंगे के नीचे गाया. इधर श्री पंच दशनाम संयासिनी अखाड़े में भी महिला नागा संन्यासिनियों ने भी तिरंगा फहराया कर गणतंत्र दिवस मनाया. महाकुंभ के जिस 4000 एकड़ में हर जगह सनातन धर्म के भगवा ध्वज नजर आते थे.गणतंत्र दिवस को वहां तिरंगे ही तिरंगे नजर आ रहे थे. शिविरों में मंत्रोच्चार और धार्मिक गीतों की जगह देश भक्ति के गीत सुनाई पड़ रहे हैं.

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