गोवा के मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा है कि वह गोवा पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) और साइबर क्राइम सेल से अनुरोध करेंगे कि कांग्रेस नेता अमित पाटकर से पूछताछ की जाए। दरअसल, विपक्ष के नेता ने हाल ही में सरकारी नौकरी के लिए भर्ती में धांधली का आरोप लगाया था। इसी सिलसिले में उनसे सवाल किए जाएंगे।
कांग्रेस नेता ने क्या आरोप लगाए थे?
अमित पाटकर गोवा कांग्रेस के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए आवेदकों को मिले फर्जी नियुक्ति पत्र और ऑफर लेटर दिखाए थे। कांग्रेस का आरोप था कि कई लोगों को शहरी विकास, नगर एवं राष्ट्र नियोजन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के फर्जी नियुक्ति पत्र दिए गए थे। यह सारे विभाग मंत्री विश्वजीत राणे के अंतर्गत ही आते हैं।
बता दें कि अमित पाटकर ने इन आरोपों को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि फर्जी नियुक्ति पत्रों में विभागों के प्रमुखों (एचओडी) के हस्ताक्षर भी हैं। उन्होंने एक कॉल रिकॉर्डिंग भी चलाई थी, जिसके जरिए आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग सरकारी नौकरियों के दाम लगा रहे हैं, ताकि अभ्यर्थियों से उगाही की जा सके।
मंत्री बोले- मेरे विभाग ने कोई नौकरी नहीं निकाली
एक बयान में शनिवार को विश्वजीत राणे ने कहा कि डीजीपी आलोक कुमार और साइबर क्राइम सेल पाटकर के आरोपों की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि इस जांच में गोवा कांग्रेस के अध्यक्ष से भी पूछताछ शामिल है। इन दस्तावेजों (फर्जी नियुक्ति पत्र-ऑफर लेटर) और फर्जी कॉल रिकॉर्डिंग के स्रोतों की जानकारी भी जरूरी है।
उनके इन्हीं आरोपों पर राणे ने जवाब देते हुए कहा कि साइबर क्राइम सेल को पहले ही मामले की विस्तृत जांच का आदेश दे दिया गया है। साथ ही उस कॉल रिकॉर्डिंग का भी पता लगाने के लिए भी कह दिया गया है, जिसके जरिए भ्रष्टाचार के आरोप गाए गए हैं।
मंत्री ने कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की सोची-समझी साजिश है। उन्होंने साफ किया कि उनके विभागों ने बीते दो साल में कोई भी नियमित नौकरी नहीं निकाली है, क्योंकि इसे गोवा राज्य में केंद्रीकृत कर दिया गया है। इसलिए मेरे विभाग पर अलग से नौकरी निकालने का सवाल गलत है।
मंत्री ने आरोप लगाने वाली कांग्रेस को ही घेरा
उन्होंने साफ किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठे दावे, निराधार आरोप और गैरजिम्मेदाराना बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राणे ने कहा कि गोवा कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी जानकारी के स्रोत के बारे में जवाब देना होगा। अगर वह अपने दावों को तय समय पर सिद्ध नहीं कर पाते तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।